Last Updated: Wednesday, April 25, 2012, 12:33
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट
ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में दोषी ठहराए जाने और मृत्युदंड के फैसले के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल अमीर कसाब की अपील पर आज अपना फैसला सुरक्षित रखा।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ ने इस मामले में करीब ढाई माह तक चली लंबी सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रखा। सुनवाई में अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों ने इस मामले में अपनी मजबूत दलीलें दी। मुंबई आतंकी हमले में कसाब तथा अन्य ने अंधाधुंध गोलियां बरसायी थीं जिसमें 166 लोगों की जानें गई थीं।
जिरह के दौरान कसाब ने दावा किया कि उसे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मुकदमे का अवसर नहीं दिया गया तथा वह देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की किसी बड़ी साजिश का हिस्सा नहीं है। उसने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ संदेह से परे मामला साबित करने में विफल रहा। उसने पीठ से यह भी कहा कि खुद पर दोषारोपण के खिलाफ उसके अधिकार तथा मामले में वकील के जरिये अपना समुचित बचाव करने के उसके अधिकार का मुकदमे के दौरान उल्लंघन हुआ। पच्चीस वर्षीय कसाब ने जेल से दायर अपनी अपील में खुद को दोषी ठहराए जाने और मृत्युदंड को चुनौती दी है। शीर्ष न्यायालय ने वरिष्ठ वकील राजू रामचन्द्रन को कसाब की ओर से दलील देने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया था।
पूर्व सालीसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने पूर्व में पीठ को बताया था कि मुंबई आतंकी हमला एक ‘सुनियोजित’ साजिश के साथ किया गया था। इसका मकसद आतंकी हमले को भारतीय मुस्लिमों का काम बताकर प्रचारित कर देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना था । शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल 10 अक्तूबर को कसाब के मृत्युदंड पर रोक लगा दी थी। कसाब ने विशेष अनुमति याचिका के जरिये बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने उसकी मौत की सजा की पुष्टि की थी। कसाब ने दावा किया कि अपराध को अंजाम देने के लिए ‘अल्लाह’ के नाम पर उसका दिमाग पूरी तरह से भ्रमित कर दिया गया था। उसने अनुरोध किया कि उसकी युवा आयु को देखते हुए उसे मृत्यदंड नहीं दिया जाना चाहिए। कसाब को मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद करके रखा गया है। उसने जेल अधिकारियों के जरिये विशेष अनुमति याचिका दायर की है।
कसाब अपने नौ अन्य साथियों के साथ कराची से समुद्र के जरिये 26 नवंबर 2008 की रात में दक्षिणी मुंबई पहुंचा था। इसके बाद आतंकवादियों ने शहर के प्रमुख स्थलों पर अंधाधुंध गोलियां बरसायी जिसमें 166 लोग मारे गए।
कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया जबकि उसके साथ आए बाकी सभी नौ आतंकी सुरक्षा कर्मियों की जवाबी कार्रवाई में मारे गए। उसे विशेष आतंकवाद निरोधी अदालत ने 6 मई 2010 को मृत्युदंड का फैसला सुनाया।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 25, 2012, 18:03