कांग्रेस-बीजेपी के बीच छिड़ा अध्यादेश पर वाकयुद्ध

कांग्रेस-बीजेपी के बीच छिड़ा अध्यादेश पर वाकयुद्ध

नई दिल्ली: भाजपा और कांग्रेस के बीच बुधवार को दागी जनप्रतिनिधियों की सदस्यता बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश पर वाकयुद्ध चलता रहा। सत्ताधारी दल ने विपक्षी पार्टी पर दोहरी भाषा बोलने का आरोप लगाया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दावा किया कि यह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नाराजगी नहीं, बल्कि विपक्षी दलों का दबाव है जिससे सरकार अध्यादेश की समीक्षा करने पर बाध्य हुई है।

संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सर्वदलीय बैठक के दौरान अध्यादेश का समर्थन किया था और जब राहुल गांधी ने मुद्दा उठाया तब उसने अपना रुख बदल लिया।

उन्होंने कहा कि राज्यसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में उन्होंने (भाजपा) एकमत से अध्यादेश पर सहमति जताई थी और इसीलिए इसे राज्यसभा में पेश किया गया। बैठक के ब्योरे की प्रति लहराते हुए कमलनाथ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब से राहुल गांधी ने मुद्दे को उठाया है, भाजपा ने अलग ही रुख अपना लिया है। यह भाजपा की पुरानी कार्यशैली रही है कि लोगों के बीच कुछ कहती और अकेले में कुछ और। राहुल गांधी ने 27 सितंबर को अध्यादेश को `पूरी तरह बकवास` और `इसे फाड़कर फेंकने लायक` कहा था।

भाजपा की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कमलनाथ के दावे का खंडन करते हुए कहा कि यह भाजपा का दबाव है जो जीत गई। और यह देश की जनता का विचार है। उन्होंने कहा कि इसलिए यह राहुल गांधी की पहल नहीं है। यह सर्वोच्च न्यायालय, जनता का नजरिया है और विपक्ष का दबाव है जिसकी जीत हुई है।

लेखी ने कहा कि भाजपा दोहरी भाषा नहीं बोलती है। आज महात्मा गांधी का जन्म दिन है और महात्मा गांधी की पहली शिक्षा सत्य बोलने की थी और उन्होंने (कांग्रेस) यही सीख भुला दी।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में कमलनाथ और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम दोनों ही इस मुद्दे को स्थायी समिति को सौंपने पर सहमत हुए थे। इसकी जगह उन्होंने इसे राज्यसभा में पेश करने का प्रयास किया।

लेखी ने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भाजपा संविधान में किसी भी संशोधन के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से भी गुहार लगाई। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि उनके प्राधिकार और उनके मंत्रिमंडल को राहुल गांधी द्वारा नजरअंदाज किए जाने के बावजूद वे इस्तीफा नहीं देंगे। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, October 2, 2013, 19:39

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