कांस्‍टेबल मौत केस: डॉक्‍टर सिद्धू से होगी पूछताछ

कांस्‍टेबल मौत केस: डॉक्‍टर सिद्धू से होगी पूछताछ

कांस्‍टेबल मौत केस: डॉक्‍टर सिद्धू से होगी पूछताछ ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी

नई दिल्ली: दिल्‍ली पुलिस के कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की मंगलवार को हुई मौत के मामले में गुत्‍थी उलझती ही जा रही है। पुलिस का कहना है कि भीड़ ने तोमर को कुचल दिया था। कांस्टेबल तोमर की 25 दिसंबर को मौत हो गई थी। तोमर की मौत राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुई थी। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने इस सिलसिले में गुरुवार को तीन प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की। वहीं, अब राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक टी.एस. सिद्धू की पुलिस के सामने पेशी होगी और उनसे पूछताछ की जाएगी।

बता दें कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक टी.एस. सिद्धू ने बीते दिनों कहा था कि उनके दाहिने घुटने पर खरोंच और सीने में चोट के अलावा उनके शरीर पर कोई बड़ा निशान नहीं था। दिल्ली पुलिस ने अस्पताल से मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। पुलिस 23 दिसंबर की घटनाओं का क्रमवार अध्ययन करने के लिए समाचार चैनलों से वीडियो फुटेज भी एकत्र कर रही है।

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने इस सिलसिले में गुरुवार को तीन प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की। एक प्रत्यक्षदर्शी पत्रकारिता के छात्र योगेंद्र तोमर ने एक दिन पूर्व मीडिया से कहा था कि कांस्टेबल तोमर की पिटाई नहीं की गई और न ही उन्हें कुचला गया। वह खुद गिर गए थे और बेहोश हो गए। योगेंद्र गुरुवार को अपराह्न् लगभग तीन बजे चाणक्यपुरी स्थित दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के दफ्तर पहुंचे।

20 वर्षीय योगेंद्र ने दफ्तर में प्रवेश करते समय संवाददाताओं से कहा कि मैं किसी तरह के दबाव में नहीं हूं। मैं अपराध शाखा के अधिकारियों को वही कहूंगा जो अब तक कहता रहा हूं। योगेंद्र को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। योगेंद्र के साथ उसी उम्र की एक अन्य युवती पॉलिन ने बुधवार को मीडिया से कहा था कि भीड़ को खदेड़ते समय तोमर खुद गिर पड़े थे। उन्हें न तो पीटा गया और न ही कुचला गया। सच तो यह है कि कई प्रदर्शनकारी उसकी मदद करने आए थे। प्रत्यक्षदर्शी युवती ने कहा कि कांस्टेबल के बदन पर किसी तरह की चोट का निशान दिखाई नहीं दिया। वहीं, एक तीसरे प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने कांस्टेबल तोमर को पीटा था। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से आकर प्रदर्शन में शामिल हुए 31 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता सलीम अल्वी ने कहा कि हम 23 दिसम्बर को इंडिया गेट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। तभी मैंने देखा कि भीड़ में से किसी ने कांस्टेबल तोमर पर एक पत्थर फेंका जिसके बाद वह गिर पड़ा। फिर पांच-छह लोग आए और उन्होंने कई बार उसे घूंसा मारा। अल्वी ने गुरुवार को पुलिस से सम्पर्क किया और अपराध शाखा ने उसका बयान दर्ज किया। गौर हो कि कांस्टेबल की मौत का मामला बुधवार को अपराध शाखा को सौंप दिया गया था।

First Published: Friday, December 28, 2012, 12:06

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