Last Updated: Saturday, April 13, 2013, 23:24

नई दिल्ली : भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर देवेंदर पाल सिंह भुल्लर को माफी देने की मांग की है जिसे वर्ष 1993 के दिल्ली बम विस्फोट मामले में मौत की सजा सुनायी गई है।
काटजू ने यह पत्र उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीशों वाली एक पीठ द्वारा सजाए मौत के खिलाफ खालिस्तान आतंकवादी भुल्लर की याचिका के खारिज किये जाने के कुछ दिनों बाद लिखा है। न्यायालय के उस फैसले से भुल्लर को फांसी पर लटकाने का रास्ता साफ हो गया है।
काटजू ने कहा कि भुल्लर जनवरी 1995 में भारत आने के बाद से ही जेल में बंद है। वह गत 18 वर्ष से जेल में हैं। उसे अपनी फांसी के लिए काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा जिससे उसे काफी लंबे समय मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी इस दौरान क्योंकि उसके सिर पर खतरे की तलवार लटकती रही।
उन्होंने अपनी अपील के कारण बताते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय भुल्लर की फांसी के खिलाफ उसकी अपील एक के मुकाबले दो से खारिज कर चुका था, यह निर्णय सर्वसम्मत नहीं था। उन्होंने कहा कि पीठ के वरिष्ठतम न्यायमूर्ति एम बी शाह भुल्लर को बरी कर चुके थे।
काटजू ने कहा कि उन्होंने न्यायमूर्ति शाह का फैसला पढ़ा जिन्होंने यह बात इंगित की थी कि भुल्लर के खिलाफ एकमात्र सबूत उसका कथित इकबालिया बयान है जो उसने जांच कार्यालय को दिया था।
न्यायमूर्ति शाह ने कहा था कि ‘जब इकबालिया बयान में नामित अन्य आरोपियों को ना तो दोषी ठहराया गया और ना ही मुकदमा चलाया गया था तो यह अपीलकर्ता को केवल उस तथाकथित इकबालिया बयान के आधार पर दोषी ठहराने के लिए फिट मामला नहीं है जो कि पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया था।’
काटजू ने कहा कि न्यायमूर्ति शाह ने अपने फैसले में यह बात इंगित की थी कि उपरोक्त कथित इकबालिया बयान की पुष्टि करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालत की पीठ के बहुमत के फैसले को स्वीकार करना पड़ा था लेकिन कहा कि संविधान के अनुच्छेद 72.161 के विचार न्यायिक सुनवायी से अलग हैं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, April 13, 2013, 23:23