Last Updated: Monday, October 3, 2011, 18:13
नई दिल्लीः पाकिस्तान के साथ 1999 के कारगिल युद्ध से सबक सीखते हुए भारत ने 2016 तक कारगिल हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से विकसित करने का फैसला किया है. भारतीय वायु सेना ने कहा कि यहां से मीडियम और भारी दोनों तरह के विमानों का संचालन किया जाएगा. भविष्य में कुछ दिनों के लिए कारगिल से लड़ाकू विमान का भी संचालन किया जाएगा.
भारतीय वायु सेना के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल नॉर्मन अनिल कुमार ब्राउन सोमवार को वार्षिक प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि वायुसेना दिवस 8 अक्टूबर को कारगिल में 6000 फुट रनवे का विस्तार किया जाएगा. यहां से सोवियत संघ निर्मित आईएल 76, सी-17 अमेरिकी भारी विमान और सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस जैसे भारी विमानों का परिचालन किया जाएगा.
सोवियस संघ में बना मध्यम वजनी एन-32 परिवहन विमान का परिचालन कारगिल हवाई पट्टी से पहले से ही किया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर के उत्तरी भाग में पाकिस्तान के साथ 1999 के युद्ध के बाद से उपयोग में लाया जा रहा है.
सर्दियों में जब भारतीय सेना ने पहाडी इलाके को खाली कर दिया था तो पाक समर्थित आतंकवादियों ने घुसपैठ कर कब्जा कर लिया था. बाद में सेना की कार्रवाई के बाद आतंकियों को वापस लौटना पड़ा.
जम्मू और कश्मीर की सरकार ने नागरिक विमान संचालन के लिए 1996 में हवाई पट्टी को चालू किया था और करगिल युद्ध तक यह भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अधीन था, जब सैन्य अभियानों वहाँ शुरू किया.
तब से भारतीय वायु सेना इस हवाई क्षेत्र से एएन-32 का संचालन करता आ रहा है, इसके अलावा जम्मू और कश्मीर सरकार इसका उपयोग पर्यटन उड़ानों के लिए भी कर रहा है.
भारतीय वायु सेना प्रमुख ने कहा कि हवाई क्षेत्र का विकास किया जा रहा है लेकिन यहां से लड़ाकू विमानों के संचालन में अभी समय लगेगा.
ब्राउन ने कहा कि भारतीय वायुसेना भी लद्दाख क्षेत्र में चीन के बॉर्डर के पास नोएमा एयर बेस का विकास करने की योजना बना रही है. रक्षा मंत्री ने इसका अनुमोदन कर दिया है.
उन्होंने कहा नोयमा योजना की मंजूरी के लिए कैबिनेट से पास भेजा जाएगा.
उत्तरी और पूर्वोत्तर भारत में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए भारतीय वायु सेना इन हवाई अड्डों का विकास करना चाहती है.
नोयमा में 13300 फीट की ऊंचाई पर पहले से ही 12000 फुट रनवे है.
साथ ही ब्राउन ने कहा कि वायुसेना फिलहाल नोयमा से एएन-32 का संचालन करती है. लेकिन हम नोयमा एयरवेस को और विकसित करना चाहते हैं ताकि हम यहां से लड़ाकू, परिवहन विमान और हेलीकाप्टर संचालन संचालन कर सकें. यह सुरक्षा की दृष्टि से बहुत आवश्यक है. (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 4, 2011, 08:12