Last Updated: Saturday, January 19, 2013, 16:07

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने किशोर न्याय कानून में संशोधन के लिए दायर याचिका पर केन्द्र और दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया है। इस याचिका में ऐसी व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है कि गंभीर अपराधों में लिप्त नाबालिग अभियुक्त पर किशोर न्याय कानून लागू नहीं हो।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिसरा की खंडपीठ ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून, 2000 में संशोधन के लिये वकील सलिल बाली की जनहित याचिका पर नोटिस जारी किए।
याचिका में कहा गया है कि इस कानून में संशोधन की आवश्यकता है क्योंकि इसमें किशोर की शारीरिक और मानसिक परिपक्वता का कोई जिक्र नहीं है।
बाली की याचिका के अनुसार यह कानून 18 साल से कम आयु के सभी परिपक्व और क्रूर स्वभाव के व्यक्तियों को दंड से मुक्त रहते हुए और किसी भी तरह का अपराध करके उम्र के आधार पर बच निकलने की छूट प्रदान करता है।
उन्होंने याचिका में अनुरोध किया है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून तथा इसके नियमों के तहत किशोर की उम्र 18 साल निर्धारित करने के प्रावधान से संविधान के अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) और 21 (जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार) का हनन होता है।
न्यायालय ने उपन्यासकार और कंप्यूटर इंजीनियर शिल्पा अरोड़ा शर्मा की याचिका पर भी नोटिस जारी किया। इस याचिका में अपराध मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति करने का आग्रह किया गया है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि किसी विशेष मामले में किशोर आरोपी समाज के लिये खतरा तो नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, January 19, 2013, 16:07