Last Updated: Sunday, October 14, 2012, 23:11
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली : विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपने और पत्नी द्वारा संचालित डॉ. जाकिर हुसैन ट्रस्ट के कोष में 71 लाख रुपए की कथित हेराफेरी के आरोपों को पूरी तरह गलत करार देते हुए कुछ दस्तावेज पेश किये और किसी भी जांच का सामना करने की इच्छा जाहिर की लेकिन स्पष्ट किया उनका इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है।
लंदन से स्वदेश लौटने के बाद ट्रस्ट के कोष में हेराफेरी के आरोपों पर खुर्शीद ने कहा कि सरकार में उनके बने रहने के बारे में कोई भी निर्णय उन्होंने कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ दिया है लेकिन वह प्रधानमंत्री से मिलकर इस बारे में अपना पक्ष रखेंगे। रविवार अपराह्न करीब डेढ़ घंटे की प्रेस वार्ता में खुर्शीद और टीवी टुडे ग्रुप के संवाददाताओं के बीच गहमागहमी भरा महौल देखा गया और संवाददाताओं के कई प्रश्नों पर वह कई बार उत्तेजित भी दिखे। एक बार तो उन्होंने टीवी टुडे ग्रुप के संवाददाता को चुप रहने और चले जाने को कह दिया। प्रेस वार्ता शुरू करने से पहले वह चाहते थे कि आज तक और हेडलाइन्स टुडे के संवाददाताओं को इससे बाहर रखा जाए लेकिन कुछ पत्रकारों के इसे अनुपयुक्त बताए जाने पर राजी हो गए।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस्तीफा देंगे, खुर्शीद ने इसे पत्रकारिता नैतिकता और राजनीतिक नैतिकता के बीच का विवादित प्रश्न बताया। अगर टीवी चैनल के प्रमुख इस्तीफा देते हैं, तब वह भी इस्तीफा देने को तैयार हैं। विधि मंत्री ने चुनौती दी कि इस मामले की जांच कराई जाए और आरोप साबित होने पर वह इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि वह इस आशय की खबर प्रसारित करने वाले टीवी चैनल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि वह कैग समेत किसी भी सक्षम एजेंसी से मामले की जांच कराने को तैयार हैं लेकिन चैनल को भी इसके दायरे में रखा जाए। इस मामले की जांच वह मीडिया मुगल रुपर्ट मर्डोक से जुड़े मामले की तरह भी कराने को तैयार हैं।
सरकार में बने रहने के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा, ‘इस बारे में पार्टी और सरकार तय करेगी। पार्टी के हित में मैं कोई भी निर्णय करने में एक मिनट भी नहीं लगाऊंगा। मैं पहले पार्टी कार्यकर्ता हूं।’ उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री से मिलेंगे और अपनी बात रखेंगे। वह मेरी सरकार के नेता हैं, उन्हें इस बारे में जानने का हक हैं। उन्होंने कहा, ‘हफलनामा गलत था, इसके बारे में साक्ष्य स्पष्ट नहीं है। लुई को कैसे पता होगा कि यह फर्जी है। इसलिए हमने उत्तर प्रदेश सरकार से इसके विभिन्न आयामों की जांच करने को कहा है।’
खुर्शीद ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार रहस्यमय हलफनामे की जांच कर रही है जिसके बारे में संदेह व्यक्त किया गया है कि इस पर फर्जी हस्ताक्षर हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को इसकी जांच करने दें।’ गौरतलब है कि ऐसे आरोप लगाए गए हैं कि राज्य सरकार के जिस वरिष्ठ अधिकारी के इस पर हस्ताक्षर हैं, उन्होंने इस बात से इंकार किया है कि दस्तावेज पर उन्होंने हस्ताक्षर किया है। अशक्तों के कैम्प से जुड़े आरोपों पर विधि मंत्री ने दस्तावेज जारी करते हुए कहा कि 2009 और 2010 में अशक्त लोगों के लिए 34 कैम्प लगाए गए। इस मुद्दे पर टीवी चैनल के स्टिंग आपरेशन में दिखाये गए व्यक्ति रंगे मिस्त्री को प्रेस के समक्ष पेश किया गया। मिस्त्री ने कहा कि उसे जाकिर हुसैन ट्रस्ट से दो वर्ष पहले श्रव्य उपकरण प्राप्त हुए थे।
खुर्शीद ने एक सवाल पर कहा कि यदि कथित स्टिंग ऑपरेशन प्रसारित करने वाले चैनल का प्रमुख इस्तीफा दें तो वह अपना इस्तीफा देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास टीवी चैनल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आरोप मुझसे संबंधित ट्रस्ट पर लगाये गए हैं, मेरी पार्टी पर नहीं। मेरी सरकार फैसला करेगी कि मेरे साथ क्या करना है। इस बारे में मैं निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री से मिलूंगा और अपनी बात रखूंगा।’ खुर्शीद ने कहा कि वह सड़क पर शोर शराबा कर रहे किसी व्यक्ति के सवालों का जवाब देने नहीं आए हैं बल्कि इस विषय से जुड़े विभिन्न आयामों पर स्थिति स्पष्ट करने आए हैं।
विधि मंत्री ने कहा कि मुख्य मुद्दा पूरी तरह से स्पष्ट है कि इस ट्रस्ट को 71 लाख रुपए दिए गए जिसकी वह अध्यक्षता कर रहे हैं और लुई खुर्शीद परियोजना निदेशक हैं। इस धनराशि की हेराफेरी के आरोप लगाए गए हैं। खुर्शीद ने कहा कि 71 लाख रुपए उत्तर प्रदेश में अशक्त के लिए 17 कैम्पों पर खर्च किये जाने थे। प्रदेश में अनेक स्थानों पर कैम्प आयोजित किये गए, ट्रस्ट को मिली धनराशि खर्च की गई, अशक्तों को उपकरण बांटे गए। इस बारे में खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया गया है। एक सवाल के जवाब में खुर्शीद ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को कोष के उपयोग से जुड़े दस्तावेज क्यों प्राप्त नहीं हुए, उसके बारे में वह नहीं जानते हैं। विधि मंत्री ने कहा कि कोष में कोई हेराफेरी नहीं की गई और उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका प्रमाण पत्र दिया है। इसमें छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। खुर्शीद ने कहा कि उन्हें टीवी चैनल के स्टिंग से काफी ठेस पहुंची है।
टीवी टुडे के संवाददाताओं के साथ वाक्युद्ध के बाद संवाददाता सम्मेलन से लगभग बाहर चले गए खुर्शीद ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की जाने वाली जांच के दायरे में 12 बिंदु होंगे। उन्होंने निष्पक्ष जांच के लिए पद से इस्तीफा देने के सुझावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि जब केंद्रीय सूचना आयोग ने हाल में विधि मंत्रालय को एक मामला भेजा था कि क्या सरकार से धन पाने वाले एनजीओ के कोष का ब्योरा आरटीआई अधिनियम के तहत आता है तो विधायी विभाग ने राय दी कि इस तरह के संगठन विवरण को सार्वजनिक करने को बंधे हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘फाइल मेरे पास नहीं आई। जिस ट्रस्ट का उल्लेख था वह था जाकिर हुसैन ट्रस्ट।’ उन्होंने संकेत दिया कि अगर वह चाहते तो मुद्दे को प्रभावित कर सकते थे। कैग की मसौदा रिपोर्ट से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि चूंकि दस्तावेज अब सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय के पास उपलब्ध हैं इसलिए उसे लेखाकार को सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि हम नए दस्तावेज सौंप सकते हैं। उन्होंने कहा है कि वे अंतिम रिपोर्ट लिखते वक्त उसपर विचार करके खुश होंगे।’ ओखला स्थित पते पर ट्रस्ट के सदस्यों के मौजूद नहीं होने के दावे को लेकर कैग पर परोक्ष तौर पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कैग चाहता तो वह एक नोट छोड़कर न्यासियों से उनसे संपर्क करने को कह सकता था। उन्होंने कहा कि अधिकारी जल्दबाजी में नोट छोड़ना भूल गए होंगे।
खुर्शीद ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक उनके पड़ोसी हैं और कैग अधिकारी जानते थे कि वह और उनकी पत्नी लुई कहां मिलेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में समाचार समूह के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने के अलावा और भी मामले दायर किए जाएंगे। ट्रस्ट से जुड़े कुछ लोग चाहते हैं कि लंदन की अदालतों में भी मुकदमा दायर किया जाए क्योंकि चैनल वहां भी प्रसारित होता है। उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें ऐसा करने से नहीं रोक सकता।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 14, 2012, 16:39