कुछ भी हो जाए, अफस्पा पर मेरे रूख में बदलाव नहीं होगा: इरोम शर्मिला

कुछ भी हो जाए, अफस्पा पर मेरे रूख में बदलाव नहीं होगा: इरोम शर्मिला

कुछ भी हो जाए, अफस्पा पर मेरे रूख में बदलाव नहीं होगा: इरोम शर्मिला नई दिल्ली : मुंह में एक भी निवाला डाले बगैर पिछले 12 साल से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) के खिलाफ अकेली संघर्ष कर रहीं मणिपुर की ‘आयरन लेडी’ इरोम शर्मिला ने बिल्कुल ठान लिया है कि चाहे जो हो जाए, इस विवादास्पद कानून को हटाने के विरूद्ध उनका संघर्ष जारी रहेगा।

उन पर भूख हड़ताल के दौरान आत्महत्या के प्रयास को लेकर मामला दर्ज किया गया है और वह सुनवाई के सिलसिले में अदालत में पेशी के लिए पिछले सप्ताह दिल्ली में थीं। लेकिन उनका विश्वास है कि इस मामले से उनके संघर्ष में कोई अंतर नहीं आएगा।

उन्होंने कहा कि जबतक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती है, वह पुलिस मामलों से डरे बगैर अपना संघर्ष जारी रखेंगी। शर्मिला ने कहा कि लोग स्वेच्छा से उनके आंदोलन से जुड़ना चाहते हैं, यही एक बड़ा बदलाव है।

उनकी भूख हड़ताल दो नवंबर, 2000 को शुरू हुई थी। उन्होंने असम राइफल के जवानों द्वारा मुठभेड़ में 10 नागरिकों को मार दिए जाने के खिलाफ यह शुरू किया था। इसके बाद से उन्हें नाक में नली लगाकर ही भोजन दिया जा रहा है।
छात्रों के समर्थन को ‘मजबूती प्रदान करने वाली बात’ बताते हुए शर्मिला ने कहा कि वह नहीं चाहतीं कि लोग उनकी भूख हड़ताल में शामिल हों बल्कि उनकी इच्छा यह है कि वह एकजुटता दिखाकर उनका समर्थन करें। उन्होंने कहा कि वह यह भी चाहती हैं सरकार अफस्पा हटाने की न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) वर्मा की सिफारिश का सम्मान करे।

उन्होंने कहा,‘‘हमें एक ऐसे आंदोलन की जरूरत है जो सरकार को राजी करने के लिए उस पर नैतिक दबाव डाले। हमारे लोकतांत्रिक नेताओं को देखना चाहिए कि उन्होंने जो फैसला किया है वह गलत है। सेना सरकार द्वारा नियंत्रित होनी चाहिए। ’’ विरोध प्रदर्शन के उनके तरीके की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर शर्मिला ने कहा कि यदि वह आत्महत्या करना चाहतीं तो वह कई साल पहले कर सकती थीं। उन्होंने कहा, ‘‘आत्महत्या का प्रयास :का मामला: बिल्कुल मखौल है। ’’ हालांकि उनका आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन के जैसे दिल्ली में केंद्रित नहीं था लेकिन वह महसूस करती है कि लोग धीरे धीरे उनके मुद्दे को लेकर जागरूक हो रहे हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, March 10, 2013, 11:19

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