Last Updated: Wednesday, July 17, 2013, 18:37

चेन्नई: कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र को चालू किए जाने के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी है । न्यायालय में यह याचिका इस आधार पर दायर की गयी है कि इस विवादित परियोजना को हरी झंडी दिखाते वक्त अधिकारियों ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया ।
न्यायमूर्ति आर भानुमती और न्यायमूर्ति टी एस शिवज्ञानम की खंडपीठ के समक्ष आज जब यह याचिका सुनवाई के लिए आयी तो उन्होंने इसे पहली पीठ के पास भेज दिया क्योंकि वह कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र से जुड़े मामलों पर विचार करती रही है ।
पहले याचिकाकर्ता के. सुंदरराजन ने संयंत्र के पहले रिएक्टर से बिजली उत्पादन चालू होने के बाबत परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) की ओर से 13 जुलाई को जारी एक विज्ञप्ति का हवाला देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के सभी निर्देशों का पालन नहीं किया गया है ।
सुंदरराजन ने कहा कि खास तौर पर निर्देश संख्या 14 को अमल में नहीं लाया गया जो संयंत्र के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने से जुड़ा था ।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी विल्सन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए एईआरबी ने 11 जुलाई को परियोजना शुरू करने की मंजूरी दी थी और सभी निर्देशों का पालन किया गया है। यदि याचिकाकर्ता को कोई शिकायत थी तो उसे उच्च न्यायालय के बजाय उच्चतम न्यायालय में जाना चाहिए था । विल्सन ने कहा कि आपराधिक मामले वापस लिए जाने का संदर्भ उच्चतम न्यायालय की महज एक कोशिश थी, निर्देश नहीं ।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने 27 जून को मामले की सुनवाई के लिए याचिका पहली पीठ के पास भेज दी । कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र के खिलाफ दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पिछले छह मई को संयंत्र चालू करने की मंजूरी दे दी थी और अधिकारियों को 15 निर्देश दिए थे । (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 17, 2013, 18:37