Last Updated: Thursday, October 11, 2012, 18:55
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र में किसी प्रकार की दुर्घटना होने की स्थिति में इस संयंत्र को स्थापित करने वाली रूसी कंपनी को मुआवजा अदा करने की जिम्मेदारी से कथित रूप से मुक्त करने के मसले पर केन्द्र और परमाणु ऊर्जा विभाग से शुक्रवार को जवाब तलब किया।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने केन्द्र और परमाणु उर्जा विभाग को इस बारे में जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। न्यायाधीशों ने परमाणु दायित्व कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका कुडनकुलम संयंत्र से जुड़े विवाद के साथ ही संलग्न करने का निर्देश दिया है।
यह खंडपीठ कुडनकुलम परियोजना में सुरक्षा उपायों और पर्यावरण की मंजूरी से जुड़े मुद्दों को लेकर दायर सामाजिक कार्यकर्ता और गैर सरकारी संगठनों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि इस संयंत्र में दुर्घटना होने की स्थिति में मुआवजे के भुगतान के लिए इसे स्थापित करने वाली रूस की कंपनी की जिम्मेदारी निश्चित की जाए।
गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस और कॉमन कॉज तथा अन्य याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार ने कानूनी प्रावधानों के बावजूद कुडनकुलम संयंत्र स्थापित करने वाली रूस की कंपनी को दुर्घटना होने की स्थिति में उसकी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान परमाणु संयत्र विरोधी कार्यकर्ताओं की ओर से न्यायालय में दलील दी गयी कि छह महीने से दो साल की अवधि में क्रमश:सुरक्षा उपाय करके कुडनकुलम संयंत्र के आसपास रहने वाले लोगों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाला जा सकता है। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि इस संयंत्र को चालू करने से पहले परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड की सुरक्षा उपायों से संबंधित 17 सिफारिशों को लागू किया जाये ताकि छह महीने के भीतर मामूली से भी हादसे की गुंजाइश को टाला जा सके। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 11, 2012, 18:55