Last Updated: Wednesday, May 29, 2013, 18:38

लंदन :ब्रिटेन की एक संस्था की ताजा रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2030 तक सालाना 125 अरब डालर का नुकसान हो सकता है जिसमें अकेल भारतीय अर्थव्यवस्था को 46 अरब डालर तक चोट लग सकती है। यह अध्ययन ब्रिटेन के संगठन सेव द चिल्ड्रन ने कराया है। चार देशों में अपनी तरह का यह पहला अध्ययन है। अध्ययन रपट में कहा गया है कि कुपोषण के शिकार बच्चे सुपोषित बच्चों से औसतन 20 प्रतिशत कम साक्षर होते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार कुपोषित बच्चों की युवा अवस्था में कमाई 20 प्रतिशत तक कम हो सकती है। अध्ययन में इस तथ्य पर नये सिरे से प्रकाश डाला गया है कि पोषक भोजन की कमी से किसी बच्चे का मानसिक विकास किस तरह प्रभावित हो सकता है और इसका आर्थिक विकास पर क्या दूरगामी असर होगा।
यह अध्ययन भारत, इथियोपिया, पेरू व वियतनाम में किया गया है। इसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि कुपोषण का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर वाषिर्क असर 2030 तक 125 अरब डालर का हो सकता है। रपट के अनुसार सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भारत की अर्थव्यवस्था पर सकल घरेल उत्पाद के 0.8 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत तक नुकसानदेह हो सकती है। इस तरह भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का नुकसान 15 अरब डालर से 46 अरब डालर तक हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आज के अल्पविकसित बच्चे जब तक कामकाज की उम्र तक पहुंचेंगे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कुल मिलाकर असर 125 अरब डालर होगा। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि कुपोषण के शिकार बच्चों के पढने आदि की क्षमता भी प्रभावित होती है।
इसके अनुसार, अध्ययन के निष्कष्रों से हमारी इस आंशका की पुष्टि होती है कि खराब पोषण भावी जीवन में बच्चे के अवसरों को किस तरह प्रभावित कर सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही हमने शिशु मृत्यु दर पर काबू पाने की दिशा में बड़ी प्रगति की हो बच्चों में कुपोषण गरीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई में बड़ी चिंता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 29, 2013, 18:37