Last Updated: Friday, April 6, 2012, 14:00
नई दिल्ली : मौजूदा समय में जब सारा ध्यान सेना प्रमुख वीके सिंह और राजनीतिक नेतृत्व के बीच मतभेद और खिंचाव की तरफ केंद्रित हो, उस समय शायद ही कोई सशस्त्र बलों और इनकी आवश्यकताओं की स्थिति के बारे में चिंतित होगा। एक अग्रणी न्यूज चैनल की तरफ से शुक्रवार को चौंकाने वाला दावा किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेना का एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। गोला बारूद की मात्रा काफी कम रह गई है और युद्ध की स्थिति में ये केवल दस दिन तक ही चल सकते हैं।
सेना प्रमुख ने भी पीएमओ को लिखे पत्र में देश की रक्षा तैयारियों को लेकर गंभीर चिंता जताई। गौर हो कि इस पत्र की सामग्री बाद मीडिया में लीक हो गई। चैनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि सेना ने राजनीतिक नेतृत्व को निरंतर अवगत कराया है कि युद्ध सामग्री से जुड़े सैन्य भंडार (गोला-बारूद आदि) का स्तर चिंताजनक रूप से काफी कम है और किसी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सेना के पास कुछ निश्चित गोला-बारूद का पर्याप्त भंडार आरक्षित नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, महत्वपूर्ण आयातित गोला बारूद की सूची संघर्ष की स्थिति महज 10 दिनों तक ही चल पाएगी। जिसमें 125 मिमी टैंक के लिए गोला बारूद भी है, जिसे फिन बख्तरबंद भेदी भी कहा जाता है। साल 2009 में इसका भंडार महज 5.85 दिनों के लिए था। हालांकि, सेना को अभी रूस से 16,000 अतिरिक्त राउंड खरीद के तहत प्राप्त करना है। इसी तरह एक तोपखाने द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अस्त्र का भंडार भी काफी कम है। आयातित उपकरणों और गोला बारूद के अलावा, रक्षा संबंधित स्वदेशी आयुध फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के द्वारा निर्मित सामग्री का स्टॉक भी काफी कम है।
चिंताजनक तथ्य यह भी है कि आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा प्रदान की गई गोला बारूद की एक बड़ी मात्रा भी दोषपूर्ण पाई गई। 2008 में अपने प्रदर्शन में सेना ने दावा किया कि 125 मिमी तोप संबंधी 86000 से अधिक राउंड दोषपूर्ण थे।
(एजेंसी)
First Published: Friday, April 6, 2012, 22:31