`कैग का आकलन विवादास्‍पद, आरोप बेबुनियाद और तथ्‍य से परे`

`कैग का आकलन विवादास्‍पद, आरोप बेबुनियाद और तथ्‍य से परे`

`कैग का आकलन विवादास्‍पद, आरोप बेबुनियाद और तथ्‍य से परे`नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि कोयला ब्लाक आवंटन को लेकर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में अनियमितताओं के जो आरोप लगाए गए हैं वे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और सरासर बेबुनियाद हैं।

सिंह ने संसद के दोनों सदनों में कैग रिपोर्ट पर अपनी ओर से दिए बयान में कहा कि मैं माननीय सदस्यों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि रिपोर्ट में उल्लिखित अवधि में से कुछ समय के लिए कोयला मंत्रालय का प्रभारी मंत्री होने के नाते मैं मंत्रालय के निर्णयों की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। मैं कहना चाहता हूं कि अनियमितताओं के जो भी आरोप लगाए गए हैं वे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और सरासर बेबुनियाद हैं। उन्होंने कैग की रिपोर्ट में की गई मुख्य तीन आपत्तियों को भी ‘स्पष्ट रूप से विवादास्पद’ बताया।

उन्होंने विपक्ष से कहा कि वह संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करने दे ताकि देश फैसला कर सके कि सच्चाई क्या है। सिंह ने लोकसभा और राज्यसभा में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के भारी हंगामे के बीच कैग रिपोर्ट के बारे में अपना बयान देने के बाद संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि मुझे अफसोस है कि सदन नहीं चलने दिया जा रहा है और भाजपा संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए कृतसंकल्प है।

उन्होंने देश को आश्वासन दिया कि इस संबंध में वह जो कह रहे हैं, पूरी मजबूती और विश्वसनीयता के साथ कह रहे हैं। सिंह ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सदन में बयान देना चाहते थे लेकिन विपक्ष ने उन्हें मौका नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि कैग के निष्कर्ष विवादास्पद हैं और जब मामला संसद की लोक लेखा समिति के सामने आएगा तो इसे चुनौती दी जाएगी। सिंह ने अपनी खामोशी के बारे में किए गए सवाल का जवाब इस शेर से दिया, ‘ हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।’

उपरोक्त रिपोर्ट पर उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे मुख्य विपक्षी दल भाजपा को भी आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संप्रग का शासन आने पर कोयला ब्लाकों का आवंटन प्रतिस्पर्धी बोली से करने का प्रस्ताव हुआ था लेकिन विपक्षी दलों के तत्कालीन शासन वाले छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों ने प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया अपनाने का पुरजोर विरोध किया था।

उन्होंने कहा कि राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अप्रैल 2005 में उन्हें लिखे पत्र में प्रतिस्पर्धी बोली का विरोध करते हुए कहा था कि यह सरकारिया आयोग की सिफारिशों की भावना के विपरीत होगा।

सिंह ने कहा कि इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने जून 2005 में भेजे पत्र में मौजूदा नीति जारी रखने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि इसी तरह तत्कालीन वाम मोर्चा शासित पश्चिम बंगाल और बीजद भाजपा शासित ओडिशा सरकारों ने भी प्रतिस्पर्धी बोली पद्धति का औपचारिक विरोध करते हुए उन्हें पत्र लिखे थे।

सिंह के मुताबिक विपक्ष शासित राज्यों का कहना था कि प्रतिस्पर्धी बोली के जरिए कोयला ब्लाक आवंटन से कोयले की कीमत बढ़ेगी जिससे उनके क्षेत्रों में उद्योगों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और पट्टेधारी का चयन करने संबंधी उनके विशेषाधिकार भी कम होंगे। प्रधानमंत्री ने कैग के अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में लोकतंत्र में इस बात को स्वीकार करना कठिन है कि नीति में बदलाव को लागू करने के लिए सरकार के कानूनी सुधार संबंधी किसी निर्णय पर लेखा परीक्षा में प्रतिकूल टिप्पणी की जाए।

कोयला ब्लाक आवंटन में प्रतिस्पर्धी बोली के लिए विधेयक में आवश्यक संशोधन में विलंब के बारे में कैग की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि कैग रिपोर्ट में इस निर्णय को तेजी से लागू नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की गयी है। मैं इस बात से पूर्णत: सहमत हूं कि यदि आदेश मात्र से काम करना संभव होता तो हम यह काम ज्यादा तेजी से कर सकते थे। लेकिन हमारी संसदीय व्यवस्था में सर्वसम्मति बनाने की जटिल प्रक्रिया को देखते हुए ऐसा करना कठिन है।

उन्होंने कैग की रिपोर्ट में आवंटन पर मुख्य तीन कारणों से जताई गई आपत्तियों का जिक्र किया और कहा कि कैग की टिप्पणियां स्पष्ट रूप से विवादास्पद हैं। कैग की ये तीन टिप्पणियां हैं-जांच समिति ने कोयला ब्लाक आवंटन के लिए सिफारिश करते समय पारदर्शी और निष्पक्ष पद्धति नहीं अपनाई। मौजूदा प्रशासनिक निर्देशों में संशोधन कर 2006 में ही प्रतिस्पर्धी बोली शुरू की जा सकती थी। लेकिन लंबी प्रक्रिया अपनाई गई जिससे निर्णय लेने में विलंब हुआ। रिपोर्ट की तीसरी मुख्य आपत्ति है कि प्रतिस्पर्धी बोली शुरू करने में विलंब के कारण मौजूदा प्रक्रिया से कई निजी कंपनियों को लगभग 1.86 लाख करोड़ का आर्थिक लाभ हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कैग ने जिस नीति की आलोचना की है, वह संप्रग सरकार से बहुत पहले 1993 से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि एक अंतर मंत्रालयी जांच समिति की सिफारिश के आधार पर 1993 से ही कोयला ब्लाकों का आवंटन किया जा रहा था। इस समिति में राज्य सरकारों के भी प्रतिनिधि थे। उन्होंने कहा कि कोयला एवं कैप्टिव कोल ब्लाकों की तेजी से बढ़ती मांग को देखते हुए संप्रग। सरकार ने पहली बार जून 2004 में प्रतिस्पर्धी बोली से आवंटन का विचार किया।

सिंह ने कहा कि कैग का यह कथन दोषपूर्ण है कि मौजूदा प्रशासनिक निर्देशों में संशोधन करके 2006 में प्रतिस्पर्धी बोली शुरू की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि 25 जुलाई 2005 को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें कोयला एवं लिग्नाइट वाले राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। बैठक में राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने प्रतिस्पर्धी बोली अपनाने के प्रस्ताव का विरोध किया था।

बयान में उन्होंने कहा कि बैठक के बाद यह देखा गया कि प्रस्तावित बदलाव के लिए जरूरी विधायी परिवर्तन को लाने में काफी समय लगेगा और कैप्टिव खनन की आवंटन प्रक्रिया को कोयले की बढ़ती मांग के मददेनजर इतने लंबे समय तक रोक कर नहीं रखा जा सकता इसलिए बैठक में निर्णय लिया गया कि नई प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया जब तक प्रचलित नहीं हो जाती तब तक मौजूदा जांच समिति प्रक्रिया के माध्यम से कोयला ब्लाकों के आवंटन को जारी रखा जाए और यह केंद्र एवं संबंधित राज्य सरकारों का सामूहिक निर्णय था।

निजी कंपनियों को 1.86 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक लाभ संबंधी कैग के आकलन को ‘‘स्पष्ट रूप से विवादास्पद’’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि यदि हम कैग के इस विचार को मान भी लें कि निजी कंपनियों को लाभ हुआ, उनके द्वारा किए गए आकलन पर कई तकनीकी बिंदुओं के आधार पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कैग द्वारा औसत के आधार पर खनन योग्य भंडारों की गणना करना सही नहीं है। भू-खनन की अलग अलग परिस्थितियों, खनन की पद्धति, सतह की विशिष्टताओं, सेटलमेंट्स की संख्या, आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता इत्यादि के कारण कोल इंडिया लिमिटेड के लिए भी कोयला उत्पादन की लागत हर खान में अलग अलग होती है।

सिंह ने कहा कि तीसरी बात यह है कि कोल इंडिया लिमिटेड सामान्य तौर पर बेहतर आधारभूत सुविधा वाले और खनन के लिए ज्यादा अनुकूल परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में कोयले का खनन करता है जबकि कैप्टिव खनन के लिए दिए जाने वाले कोयला ब्लाक आम तौर पर अधिक कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अलावा लाभ का एक अंश हर हालत में सरकार द्वारा कराधान के जरिए संग्रहित किया जाएगा एवं खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) विधेयक के तहत, जो इस समय संसद में विचाराधीन है, कोयला खनन प्रचालनों पर होने वाले लाभ का 26 प्रतिशत स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए रखना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में ‘केवल कोल इंडिया लिमिटेड की औसत उत्पादन लागत और विक्रय मूल्य के आधार पर निजी कंपनियों के संभावित आर्थिक लाभ का आकलन करना बहुत ही भ्रामक हो सकता है।

इसके अतिरिक्त चूंकि निजी कंपनियों को स्पेसिफाइड एंड यूजेज हेतु कैप्टिव उद्देश्य के लिए ही कोल ब्लाक आवंटित किए गए थे। इसलिए कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा निर्धारित कोयले की कीमत से आवंटित ब्लाकों को जोड़ना उपयुक्त नहीं होगा। (एजेंसी)

First Published: Monday, August 27, 2012, 12:43

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