Last Updated: Tuesday, December 4, 2012, 14:01

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : कैश फॉर सब्सिडी स्कीम के ऐलान के वक्त को लेकर चुनाव आयोग ने मंगलवार को केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए। आयोग ने कहा कि कैश सब्सिडी स्कीम के ऐलान के वक्त को टाला जा सकता था और सरकार इसे लागू करने के समय को टाले।
चुनाव आयोग ने अपनी टिप्पणी में कहा कि गुजरात चुनाव के चलते सरकार नकदी हस्तांतरण योजना से बच सकती थी। आयोग ने सरकार से गुजरात के चार जिलों और हिमाचल प्रदेश के दो जिलों में योजना के कार्यान्वयन को टालने को कहा है। चुनाव आयोग ने कहा कि सरकार को चुनाव आचार संहिता का अक्षरश: पालन करना चाहिए था।
आयोग ने कहा कि चूंकि दो राज्यों (गुजरात और हिमाचल प्रदेश) में विधानसभा चुनाव होने के चलते यहां चुनाव आचार संहिता पहले से लागू है, ऐसे में इस स्कीम की घोषणा का समय सही नहीं है और इसे टाला जा सकता था। आयोग के इस फैसले से कांग्रेस नीत यूपीए सरकार को गहरा झटका लगा है।
गौर हो कि बीजेपी ने चुनाव आयोग से इस स्कीम के ऐलान के बाद शिकायत की थी। इसके बाद आयोग ने केंद्र से जवाब तलब किया था। आयोग ने आज यह भी कहा कि हिमाचल के दो जिले भी इस स्कीम में शामिल नहीं किए जाने चाहिए थे और आदर्श आचार संहिता का केंद्र सरकार को पूरा पालन करना चाहिए था।
भाजपा की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मागा था। केंद्र ने अपने दिए जवाब में भाजपा और अन्य पार्टियों द्वारा लगाए गए सवालों का खंडन किया है।
सब्सिडी की नगदी सीधे लोगों के खाते में भेजने की योजना के मुद्दे पर सरकार ने बीते दिन चुनाव आयोग से कहा कि इस योजना में नया कुछ नहीं है। यह इस साल के बजट प्रस्तावों का हिस्सा है। योजना आयोग ने चुनाव आयोग को इस योजना का ब्यौरा मुहैया कराया और दावा किया कि सरकार द्वारा कुछ भी नया घोषित नहीं किया गया है।
योजना आयोग के इस नोट के पहले कैबिनेट सचिवालय ने आयोग को यह संक्षिप्त जानकारी दी थी कि उसने योजना आयोग को इस योजना के बारे में विस्तृत ब्यौरा देने के लिए भेजा है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त वीएस संपत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय चुनाव आयोग ने सोमवार को इस मुद्दे पर चर्चा की लेकिन इस पर फैसले को टाल दिया। जिस पर आयोग ने आज अपना फैसला दिया।
First Published: Tuesday, December 4, 2012, 14:00