Last Updated: Thursday, March 22, 2012, 09:57
ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर कोयला खनन क्षेत्रों के आवंटन में 10.67 लाख करोड़ के राजस्व के नुकसान की एक मीडिया की रिपोर्ट पर गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। इस बीच कैग ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिन में पत्र लिख कर स्पष्ट किया कि मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट ‘बेहद भ्रामक है।’
मीडिया की रिपोर्ट में कैग की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 2004 से 2009 के दौरान निजी और सरकारी कंपनियों को कोयला खनन क्षेत्रों को बिना नीलामी के आवंटन के चलते सरकारी खजाने को 10.67 लाख करोड़ रुपये के संभावित राजस्व की हानि हुई। मीडिया की खबर आने के बाद कैग ने प्रधानमंत्री को आज ही एक पत्र लिखा, जिसका ब्योरा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने जारी किया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार कैग ने पत्र में स्पष्ट किया है कि मौजूदा मामले में जो ब्यौरे सामने आए हैं वे कुछ टिप्पणियां हैं जिन पर अभी बेहद शुरुआती दौर की चर्चा हो रही है। यह रिपोर्ट हमारी अंतिम रिपोर्ट के पहले की रिपोर्ट का मसौदे भी नहीं कही जा सकती। कैग ने इस पर आधारित मीडिया की रिपोर्ट को ‘अति भ्रामक’ करार दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार कैग ने अपने पत्र में कहा है कि रिपोर्ट तैयार करने के सिलसिले में कोयला मंत्रालय के साथ नौ फरवरी 2012, और तीन मार्च 2012 को हुई बैठकों के बाद हमने अपनी सोच बदली है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति में इस पत्र के हवाले से कहा गया है कि दरअसल हमारा यह मानना भी नहीं है कि आवंटियों को अनायास जो फायदा हुआ है वह सरकारी खजाने के नुकसान के समान है। आरंभिक मसौदे के लीक होने से शर्मिंदगी की हालत पैदा हुई है क्योंकि लेखापरीक्षा रिपोर्ट अभी तैयार की जा रही है। इस तरह की रिपोर्टों का लीक होना पीड़ादायक है।
कोयला खनन क्षेत्रों के आवंटन पर यह खबर कैग की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी विस्फोटक रिपोर्ट के एक साल से कुछ अधिक समय बाद आई है। कैग ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर कैग ने कहा था कि आवंटन नीति में कमी और प्रक्रिया में गड़बडी के चलते सरकार को 2008 के 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में अधिकतम अनुमानत: 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
कोयला खानों के आवंटन के बारे में कैग की लीक हुई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इन आवंटनों की अवधि में बाजार की कीमतों के आधार पर आवंटियों को 6.31 लाख करोड़ रुपये का ‘अप्रत्याशित लाभ’ हुआ। इसमें 3.37 लाख करोड़ रुपये का लाभ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को और 2.94 लाख करोड़ रुपये का अप्रत्याशित लाभ निजी क्षेत्र की कंपनियों को हुआ। मीडिया की रपट के अनुसार कैग की रिपोर्ट के मसौदे में कहा गया है कि मौजूदा मूल्य पर यह लाभ 10.67 लाख करोड़ रुपये बैठता है। इसके आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का फायदा 5.88 लाख करोड़ रुपये और निजी क्षेत्र की कंपनियों का 4.79 लाख करोड़ रुपये बनता है।
First Published: Friday, March 23, 2012, 09:56