Last Updated: Thursday, March 22, 2012, 10:04
नई दिल्ली: कोयला खनन क्षेत्रों के आवंटन में निजी और सरकारी कंपनियों को 10.67 लाख करोड़ रुपए का बेजा फायदा दिए जाने के संबंध में मीडिया में छपी रपट के बीच सरकार ने गुरुवार को कहा कि उसने कंपनियों को खनन अधिकार देने में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई।
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा ‘हमने कोयला ब्लाक के आवंटन के लिए विज्ञापन दे कर आवेदन आमंत्रित किए आवेदन प्राप्त करने के बाद कोयला मंत्रालय ने राज्य सरकारों से परामर्श किया गया और इसके बाद कोयला खनन क्षेत्र आवंटित किए गए।’
भारत के नियंत्रक एवं महा लेखापरीक्षक की रपट के एक मसौदे के आधार पर मीडिया की एक रपट में कहा गया है कि कोयला ब्लाक की नीलामी न करने के कारण सरकारी खजाने को 10.67 लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। इस रपट के संबंध में पूछे जाने पर केंद्रीय कोयला मंत्री ने कहा ‘ आवंटन कोयला सचिव की अध्यक्षता वाली जांच समिति के जरिए किया जाता है।’’ यह मामला गुरुवार को संसद में उठा और लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही बाधित हुई।
जायसवाल ने यह भी कहा कि उसे कैग से ऐसी कोई रपट नहीं मिली है। उन्होंने कहा ‘हमें कैग की कोई रपअ नहीं मिली और हम यह कैसे कह सकते हैं कि इसकी रपट सही है या नहीं।’
मीडया की रपट के मुताबिक कैग की रपट के मसौदे में कहा गया है कि सरकार ने 2004-09 के दौरान बिना नीलामी प्रक्रिया के 155 कोयला ब्लाक आवंटित किए। इससे निजी और सरकारी कंपनियों को फायदा पहुंचा। जायसवाल ने हालांकि कहा कि संप्रग के पिछले कार्यकाल में पूर्ववर्ती प्रक्रिया को छोड़कर विज्ञापन के जरिए कोयला ब्लाकों का आवंटन शुरू किया। उन्होंने कहाकि 1993-2004 के दौरान कई कायेला ब्लाक बगैर विज्ञापन जारी किए दिए गए।
सरकार ने इस मसले पर अगले हफ्ते सदन में चर्चा कराने का विपक्ष को भरोसा दिया है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, March 22, 2012, 15:35