Last Updated: Monday, August 27, 2012, 10:30

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के कोयला ब्लाक आवंटन में कथित अनियमितता पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को लेकर
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार को संसद के दोनों सदनों में बयान देंगे। कोयला आवंटन पर पीएम लोकसभा में दोपहर 12 बजे बयान देंगे और राज्यसभा में 12.30 बजे बयान देंगे। उधर, स्पीकर मीरा कुमार राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात करेंगी।
वहीं, प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर अडे रहने के कारण अब संसद के मानसून सत्र के शेष बचे दो सप्ताह में सदन में काम काज ठप रहने की आशंका व्यक्त की जा रही है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर सोमवार को संसद में बयान देंगे।
भाजपा हालांकि इस मामले में अलग थलग पडती नजर आ रही है और उसके ही कुछ सहयोगी कामकाज ठप करने की बजाय इस मामले पर चर्चा के हिमायती हैं।
भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का अहम घटक जदयू भी उसके इस अडियल रूख से सहमत नहीं नजर आ रहा है। भाजपा के इसी रूख के चलते संसद में पिछले पूरे सप्ताह कोई काम काज नहीं हुआ और अब आगे भी हालात में सुधार के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की अपनी मांग पर अडिग है और अपनी मांग पूरी नहीं होने तक वह संसद में कामकाज नहीं होने देंगे भले ही इसके लिए उसे अकेले ही आगे बढ़ना पड़े। पार्टी ने इस बारे में अपनी रणनीति तय करने के लिए आज पार्टी नेताओं की एक बैठक बुलाई है।
पहले इस बारे में भविष्य की रणनीति तय करने के लिये राजग की बैठक आहूत करने की योजना थी लेकिन जब भाजपा ने महसूस किया कि उसके सभी सहयोगी उसके रूख से सहमत नहीं हैं तो उसने राजग की प्रस्तावित बैठक का विचार ही त्याग दिया। अब कल केवल भाजपा की ही बैठक होगी जिसमें आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। भाजपा ने अपने इस रूख के पक्ष में वामदल सहित अन्य विपक्षी दलों को भी करने का प्रयास किया और इसके तहत ही लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने विभिन्न दलों के नेताओं से बातचीत की लेकिन वह सफल नहीं हो सकीं।
इसकी पुष्टि करते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गुरूदास दासगुप्ता ने भाजपा की अपनी जिद पर अड़े रहने और संसद के कामकाज में व्यवधान डालने के लिये आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इससे संसदीय लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचती है और भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रीय एकता कमजोर होती है। तेलगु देशम और बीजू जनता दल जैसी अन्य विपक्षी पार्टियां भी इस मामले में भाजपा के साथ नजर नहीं आ रही हैं। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी इस मामले में सदन की कार्यवाही में व्यवधान की बजाय चर्चा करना चाहती हैं।
सरकार चाहती है कि संसद में कामकाज हो ताकि प्रधानमंत्री कोयला ब्लाक आवंटन मामले में स्पष्टीकरण दे सकें लेकिन अगर संसद में काम नहीं होता तो प्रधानमंत्री टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संदेश के जरिये अपना पक्ष रख सकते हैं या किसी अन्य मौके का उपयोग कर मीडिया के जरिये अपना स्पष्टीकरण दे सकते हैं। प्रधानमंत्री आरोपों का जवाब देने को तैयार हैं।
उनका कहना है कि एक लाख 86 हजार करोड रूपये के नुकसान का कैग का अनुमान सही नहीं है और यह गुमराह करने वाला है। अपने छह सूत्री जवाब में वह कह सकते हैं कि छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, ओडिशा और झारखंड की राजग शासित सरकारों ने वर्ष 2005 में नीलामी प्रक्रिया के बारे में विधेयक लाने के केंद्र के प्रयास का विरोध किया था। संसद में कामकाज ठप्प रहने के कारण प्रधानमंत्री अपना यह जवाब वहां नहीं दे पा रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 27, 2012, 08:41