Last Updated: Monday, October 15, 2012, 19:47
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 2003 में ओडिसा में राज्य सरकार के स्वामित्व वाले खनन निगम को आवंटित कोयला ब्लॉक निजी कंपनी को सौंपने के मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए दायर याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब -तलब किया है।
इस याचिका में ओडिसा खनन कॉरपोरेशन के तालचेर कोयला खदान क्षेत्र के कोयला ब्लॉक निजी कंपनी को सौंपे जाने की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा और न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की खंडपीठ ने तालचेर स्थित समाजसेवी पूर्ण चंद्र साहू की जनहित याचिका पर ये नोटिस जारी किए। न्यायालय ने कोयल मंत्रालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, सीबीआई, ओडिसा खनन कॉरपोरेशन और दिल्ली स्थित निजी कंपनी सैनिक माइनिंग एण्ड एलाइड सर्विसेज लि से भी जवाब तलब किया है। राज्य सरकार के निर्णय से यही निजी कंपनी कथित रूप से लाभान्वित हुई थी।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि ओडिशा सरकार का कृत्य तो अवैध था ही लेकिन उसकी तमाम गलतियों की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किए जाने के बादवजूद उसने चुप्पी साध रखी। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार की पारदर्शिताविहीन और मनमानी नीति के कारण ही ओडिसा खनन कॉरपोरेशन को आवंटित कोयला ब्लॉक राज्य सरकार ने मनमाने और कथित रूप से भ्रष्ट तरीके से एक निजी कंपनी को सौंप दिए थे।
उनका यह भी आरोप है कि 19 दिसंबर, 2003 को कोयला ब्लॉक ओडिसा खनन कापरेरेशन को आवंटित हुआ था और इसकी स्वीकृति का पत्र पांच जनवरी, 2004 को मिला था। लेकिन इसी बीच, 29 दिसंबर, 2003 को ओडिसा खनन कॉरपोरेशन ने मेसर्स सैनिक माइनिंग एण्ड एलाइड सर्विसेज के साथ संयुक्त उपक्रम स्थापित करने का समझौता कर लिया। इस समझौते के तहत संयुक्त उपक्रम में निजी कंपनी की 74 फीसदी हिस्सेदारी थी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि निजी फर्म ने आवंटन पत्र के एकदम विपरीत तरीके से खनन का पट्टा प्राप्त किया जिसमें कहा गया था कि पट्टा आवंटी को दिया गया है। (एजेंसी)
First Published: Monday, October 15, 2012, 19:47