कोयला ब्‍लॉक आवंटन में भूमिका को लेकर सहाय हुए 'असहाय'

कोयला ब्‍लॉक आवंटन में भूमिका को लेकर सहाय हुए 'असहाय'

कोयला ब्‍लॉक आवंटन में भूमिका को लेकर सहाय हुए 'असहाय'ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली : कोयला ब्‍लॉक आवंटन में सुबोधकांत सहाय की भूमिका पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आरोपों पर सफाई देते हुए केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि कोयला ब्‍लॉक आवंटन में मेरी कोई भूमिका नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इस संबंध में बीजेपी का आरोप बेबुनियाद है। केंद्रीय मंत्री ने अपने बचाव में यहां तक कहा कि अदालत ने मुझे क्‍लीनचिट दी है।

कोयला ब्‍लॉक आवंटन में अपनी किसी भूमिका को नकारते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को गलत ढंग से पेश किया गया है। आवंटन में मेरे भाई पर लगे आरोप सरासर गलत हैं और मुझे गलत नजरिये के साथ फंसाया जा रहा है।

कोयला ब्‍लॉक आवंटन को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे सिफारिशी पत्र पर उन्‍होंने कहा कि राज्‍य के विकास के लिए मैं आगे भी सिफारिश करूंगा। उन्‍होंने तर्क दिया कि राज्‍य के विकास के लिए निजी कंपनियों की पैरवी करूंगा।

गौर हो कि इससे पहले, कोयला आंवटन मुद्दे में ताजा प्रहार करते हुए भाजपा ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय के अनुरोध पर दो कोयला खंड आवंटित कर उन्हें फायदा पहुंचाया। अब पर्यटन मंत्री का पदभार संभाल रहे सहाय ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को राजनीति से प्रेरित और मनगढंत करार दिया। उन्होंने कहा कि यह उनकी छवि खराब करने की साजिश है।

सहाय के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया कि उन पर और उनके परिजन पर पहले भी झारखंड और छत्तीसगढ़ में कोयले के ब्लॉकों के आवंटन के सिलसिले में ऐसे ही आरोप लगाए गए थे पर दिल्ली उच्च न्यायालय से उन्हें 18 मई 2010 को ‘क्लीन चिट’ दे दी थी। भाजपा ने पांच फरवरी, 2008 को तत्कालीन केंद्रीय खाद्य प्रस्संकरण उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सहाय द्वारा प्रधानमंत्री से दो कोयला खंडों के सिलसिले में उनके हस्तक्षेप की मांग करते हुए उन्हें लिखे गए पत्र को पेश किया।

वहीं, जदयू अध्यक्ष ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मंत्रियों के रिश्तेदारों को कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय द्वारा 2008 में प्रधानमंत्री को कोयला ब्लॉक आवंटन की सिफारिश के लिए लिखे एक पत्र के संदर्भ में यादव ने कहा कि आश्चर्य की बात है। हम पत्र लिखते रहते हैं और कोई कार्रवाई नहीं होती।

First Published: Friday, August 31, 2012, 13:43

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