Last Updated: Friday, August 17, 2012, 19:14

नई दिल्ली : सरकार ने कोयला ब्लॉकों के आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की इस रिपोर्ट को खारिज किया है कि सीधे नामांकन के जरिए आवंटन से निजी कंपनियों को 1.86 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ। सरकार ने कैग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में नीति पारदर्शी थी और उसमें कुछ गलत नहीं हुआ।
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने शुक्रवार को यहां कहा, ‘कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए अपनाई गई नीति में खामी नहीं थी। कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए इससे पारदर्शी और नीति नहीं हो सकती थी क्यों कि 2004 में प्रतिस्पर्धी बोली की व्यवस्था ही नहीं थी। कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए प्रतिस्पर्धी बोली व्यवस्था को समय पर लागू करने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यदि बोली के जरिए आवंटन की प्रक्रिया लागू कर दी जाती तो 1.86 लाख करोड़ रुपये का कुछ हिस्सा सरकार के खजाने में आ सकता था।
कैग के आकलन पर आपत्ति जताते हुए कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन से राजस्व का नुकसान हुआ, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि हमने जो स्क्रीनिंग कमेटी बनाई थी, उससे श्रेष्ठ समिति नहीं हो सकती। उसने आवंटन (कोयला ब्लॉक) का फैसला लिया और कोई भी उसकी सिफारिशों पर सवाल नहीं उठा सकता।
सरकार का कहना है कि अंकेक्षक ने कोयला पर अपनी रिपोर्ट में महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज किया है। उदाहरण के लिए, हर खदान से कोयला निकालने की लागत अलग-अलग है और कुछ खदानों में अन्य खदानों से कम कोयला निकला, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया।
वहीं, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने संविधान के तहत प्रदत्त अपने अधिकार का पालन नहीं किया। इसके साथ ही सरकार ने कहा कि लोक लेखा समिति (पीएसी) द्वारा परीक्षण किए जाने के बाद ही सीएजी की रिपोर्ट पर अंतिम रूप से विचार किया जाएगा।
ज्ञात हो कि कोयला आवंटन पर शुक्रवार को संसद में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि वह रिपोर्ट के औचित्य पर बात नहीं करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि मसौदा रिपोर्ट के सौंपे जाने से कोई संदेश नहीं जाने वाला है।
जायसवाल ने कहा कि उनका मंत्रालय कैग की रिपोर्ट के सभी पहलुओं से सहमत नहीं है। आडिटर ने जो आकलन किया है उसमें कोयला ब्लॉक आवंटन के कुछ ही पहलुओं को आधार बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि हम कैग की गणना से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। मंत्री ने कहा कि निजी कंपनियों को कोयला ब्लॉकों के विकास का काम इसलिए दिया गया, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया देश की बढ़ती जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों को आवंटित 57 कोयला ब्लॉकों में से अभी सिर्फ एक से कोयला निकाला जा रहा है।
जायसवाल ने कहा कि टाटा और जिंदल स्टील एंड पावर को ‘कोले से तरल ईंधन की परियोजनाओं के लिए कोयला खानों का आवंटन कच्चे तेल का आयात कम करने के मकसद से किया गया। नारायणसामी ने कहा कि ‘दुर्भाग्यवश सीएजी के पास संविधान के तहत खास अधिकार हैं। मेरे अनुसार, सीएजी इस अधिकार का पालन नहीं कर रहे हैं।‘
नारायणसामी के अनुसार, रिपोर्ट पीएसी के पास जाएगी, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हैं और उसका अध्यक्ष मुख्य विपक्षी पार्टी का है। नारायणसामी ने कहा कि पीएसी एक छोटी संसद की तरह है और यह अपनी रपट संसद को सौंपती है। उन्होंने कहा कि उसके बाद सरकार द्वारा ही उस पर कार्रवाई की जा सकती है। उसके बाद ही यह अंतिम रिपोर्ट बनती है। उन्होंने कहा कि मसौदा रपट खास दस्तावेजों के आधार पर तैयार हुई है, जिसे वे अपना दृष्टिकोण मानते हैं।
इस रिपोर्ट के साथ दो अन्य रिपोर्टें भी संसद में पेश की गईं। अतिरिक्त दोनों रिपोर्ट अति विशाल विद्युत परियोजनाओं और दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में सार्वजनिक निजी साझेदारी पर हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 17, 2012, 19:11