Last Updated: Saturday, April 13, 2013, 22:00

नई दिल्ली : केंद्र की संप्रग सरकार को `कपटी` करार देते हुए भाजपा ने शनिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बचाने के लिए सरकार सीबीआई पर दबाव डाल रही है। पार्टी ने कोल ब्लॉक आवंटन की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने की मांग की।
कांग्रेस ने इसके जवाब में कहा है कि जांच एजेंसी `स्वतंत्र रूप` से काम कर रही है।
एक अखबार `द इंडियन एक्सप्रेस` में प्रकाशित रपट में कहा गया है कि संप्रग सरकार ने, कोल ब्लॉक आवंटन की जांच से सम्बंधित स्थिति रपट को सर्वोच्च न्यायालय को सौंपे जाने से पहले `जांच परख` की गई थी। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने इस रपट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शनिवार को कहा कि यह बहुत ही गम्भीर मामला है।
स्वराज ने ट्विटर पर कहा है, "यह एक बहुत ही गम्भीर मामला है। यह प्रधानमंत्री को बचाने के लिए सीबीआई पर सरकार के दबाव का सबूत है।"
अखबार की रपट में कहा गया है कि पिछले महीने सौंपी गई सीबीआई रपट की केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने अच्छी तरह से जांच-परख की थी।
रपट में कहा गया है कि स्थिति रपट सौंपे जाने के कुछ दिनों बाद सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा सहित सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को अश्विनी कुमार ने सम्मन किया था।
अखबार की रपट में कहा गया है कि मुलाकात के दौरान स्थिति रपट में कई संशोधन सुझाए गए और कुछ संशोधन सीबीआई ने भी किए थे।
भाजपा नेता अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि अखबार की रपट से पता चलता है कि सरकार सीबीआई को ईमानदारी के साथ अपना काम नहीं करने देगी।
उन्होंने संप्रग सरकार को `कपटी` करार दिया।
जेटली ने कहा, "एक स्वतंत्र एजेंसी की सीबीआई की छवि पूरी तरह ध्वस्त और छिन्न-भिन्न हो गई है। सीबीआई इस मामले के तह तक नहीं जा सकती और सच्चाई का पता नहीं लगा सकती, संप्रग कपटी सरकार है, जो उसे स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने देगी।"
जेटली ने कहा, "इसलिए व्यवस्था को इस पर गम्भीरता से विचार करना होगा कि कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच हर हाल में एसआईटी करे।"
जेटली ने कहा कि सच पता करने की प्रक्रिया के साथ हस्तक्षेप किया गया है, और यह सब मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों के स्तर पर किया गया है, जो कि गम्भीर प्रश्न खड़े करता है।
भजपा नेता ने कहा कि सीबीआई के कामकाज में सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के तहत हस्तक्षेप प्रतिबंधित किया गया है।
उन्होंने कहा, "कोयला घोटाला स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि आवंटन दोषपूर्ण था और यह भाई-भतीजावाद का एक उदाहरण था। देश के बिजली घर कोयले की कमी से जूझ रहे हैं और इस सरकार के पसंदीदाओं को कोयला खान आवंटित कर दिए गए और सही खनन शुरू ही नहीं हुआ।"
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी अखबार की रिपोर्ट को लेकर संप्रग सरकार पर हमला बोला और कहा कि पार्टी इस मुद्दे को संसद में उठाएगी।
संप्रग सरकार में कोयला मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने भाजपा के आरोपों को यह कहते हुए खारिज किया कि सीबीआई स्वतंत्र रूप से काम करती है और जांच एजेंसी पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन से संबंधित मामला अदालत में विचाराधीन है।
आम आदमी पार्टी ने भी कोल ब्लॉक आवंटन की जांच एसआईटी से कराए जाने की मांग की है। पार्टी ने प्रधानमंत्री, कानून मंत्री और अटार्नी जनरल से इस्तीफे की मांग की है।
ज्ञात हो कि देश के आधिकारिक लेखाकार ने पिछले वर्ष खुलासा किया था कि निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता के अभाव के कारण सरकारी खजाने को 11 मार्च, 2011 तक 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
लेखा रपट में प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय पर सीधे तौर पर उंगली नहीं उठाई गई थी, लेकिन कोयला ब्लॉक आवंटन के समय कोयला विभाग प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास (जुलाई 2004 से मई 2009 तक) ही था। (एजेंसी)
First Published: Saturday, April 13, 2013, 22:00