Last Updated: Thursday, August 23, 2012, 15:39

नई दिल्ली: कोयला ब्लॉक आवंटन मामले से सम्बंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रपट पर विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए हंगामा किए जाने से गुरुवार को लगातार तीसरे दिन संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में बाधा पहुंची। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर नारेबाजी जारी रखने की वजह से लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गई। उसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।
सुबह 11 बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के सदस्यों ने शोरगुल शुरू कर दिया और वे अध्यक्ष के आसन के समक्ष जाकर नारेबाजी करने लगे। इसकी वजह से लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे और फिर दो बजे तक स्थगित कर दी।
कांग्रेस के सदस्यों ने भी जवाब में नारेबाजी की और इंडियन एक्सप्रेस अखबार की प्रतियां दिखाईं जिसमें प्रकाशित खबर में कहा गया है कि जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें थीं, उन्होंने कोयला ब्लॉक की नीलामी का विरोध किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे लगातार विपक्ष से अनुरोध करते रहे कि वह प्रधानमंत्री को बोलने दे। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री इस मसले पर चर्चा के लिए तैयार हैं बशर्ते कि भाजपा सदन चलने दे।"
राज्य सभा में भी ऐसे ही दृश्य देखने को मिले जिसकी वजह से सभापति हामिद अंसारी को सदन की कार्यवाही 12 बजे तक, फिर 12.30 बजे तक और उसके बाद दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी। यहां भी भाजपा सांसद प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे।
हालांकि भाजपा के सहयोगी दल जनता दल (युनाइटेड) ने नारेबाजी में हिस्सा नहीं लिया। वह इस मसले पर चर्चा के पक्ष में है।
दोपहर 12.30 बजे जब सदन की कार्यवाही स्थगित हुई उस समय वहां सत्तापक्ष में 15 से भी कम सदस्य मौजूद थे। सदन में कोई मंत्री नहीं था। अंसारी ने यह गतिरोध दूर करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने को भी कहा, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो सका।
पिछले सप्ताह सीएजी द्वारा संसद में पेश रपट में कहा गया है कि निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता के अभाव के कारण सरकारी खजाने को पिछले साल 11 मार्च तक 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
First Published: Thursday, August 23, 2012, 15:39