Last Updated: Wednesday, September 4, 2013, 21:10

नई दिल्ली : कोयला ब्लॉक आवंटन संबंधी फाइलों के गायब होने को लेकर सरकार पर तथ्य छिपाने और सबूत नष्ट करने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा में आज विपक्ष ने सवाल किया कि आखिर कोयला घोटाले की जांच किस दिशा में जा रही है।
उच्च सदन मे विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा कि कोयला ब्लाक आवंटन संबंधी फाइलों के गुम होने के मुद्दे पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कल प्रधानमंत्री ने कहा था कि फाइलों की खोज की जा रही है और इनके गायब होने के लिए दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। जेटली ने कहा, ‘यह स्पष्ट हो चुका है कि फाइलों का गुम होना एक हकीकत है।’’ उन्होंने कहा कि आज मीडिया में आई खबर में कहा गया है कि सीबीआई के एक जांच अधिकारी ने प्रधानमंत्री से पूछताछ करने की मंशा जताई लेकिन उसे अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि फाइलें दस्तावेजी सबूत हैं और वे गायब हैं। दस्तावेजी सबूत नष्ट किए जा रहे हैं और मौखिक साक्ष्य दर्ज करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने सरकार पर तथ्य छिपाने का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि ऐसे में कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले की जांच कैसे आगे बढ़ेगी।
भाजपा नेता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कल कहा था कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन अब लगता है कि सरकार के पास छिपाने के लिए बहुत कुछ है। स्थिति यह है कि एक ओर सीबीआई जांच के लिए फाइलें चाहती है और दूसरी ओर अटॉर्नी जनरल ने लिखा है कि दो सप्ताह के अंदर फाइलें पेश की जाएं।’
माकपा के सीताराम येचुरी ने सवाल किया कि फाइलें गुम होने के बाद अब तक प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहा कि कैग ने फाइलों की जांच की थी इसलिए उसके पास कुछ दस्तावेजों की प्रतियां हो सकती हैं। कैग से दस्तावेज क्यों नहीं मांगे गए। वह दस्तावेज कैग से लेकर प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और इसके लिए एक समिति गठित कर जांच शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हुआ है उससे संसदीय प्रक्रिया पर भी संदेह उठता है।’
सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि फाइलें गायब होने के मुद्दे पर कोयला मंत्री को जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार फाइलें गुम होने के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है। अन्नाद्रमुक के वी. मैत्रेयन ने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर स्वीकार करना चाहिए कि फाइलें गायब हैं। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय में फाइलें गायब होने तथा घोटाले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सवाल किया, ‘आखिर फाइलों का संरक्षक कौन है।’ उन्होंने यह भी पूछा कि गायब हुई फाइलें कब तक सरकार के पास थीं। भाकपा के डी. राजा ने कहा कि सीबीआई निदेशक ने जिस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बयान दिया है उससे सरकार की जांच के यथार्थपरक होने पर संदेह उठता है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या जांच सरकार के हस्तक्षेप के बिना आगे बढ़ेगी। जदयू के केसी त्यागी ने कहा कि कोयला घोटाले में लिप्त कंपनियों के लाइसेंस तत्काल रद्द किए जाएं। संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि वह कोयला मंत्री को सदन की भावना से अवगत करा देंगे। इससे पहले कोयला ब्लॉक आवंटन संबंधी फाइलों के गुम होने के मुद्दे पर भाजपा और अन्य दलों के सदस्यों के
हंगामे के कारण आज उच्च सदन की बैठक दस बार स्थगित की गई। भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कोयला ब्लॉक आवंटन संबंधी फाइलों के गायब होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस कोयला घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी प्रधानमंत्री से पूछताछ करना चाहते हैं क्योंकि जब कोयला ब्लॉक आवंटन हुआ था तब कोयला मंत्रालय का जिम्मा प्रधानमंत्री के पास था। प्रसाद ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री ने कल सदन में बयान देने के बाद स्पष्टीकरण नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
राजीव शुक्ला ने प्रसाद के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मामले को दबाने का कोई सवाल ही नहीं है और प्रधानमंत्री भी इस संबंध में आश्वासन दे चुके हैं। प्रधानमंत्री ने अपने बयान में स्पष्ट कहा है कि जांच चल रही है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री के जवाब से भाजपा सदस्य संतुष्ट नहीं हुए और सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे। इस पर कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने गुजरात के निलंबित आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा द्वारा लगाए गए आरोपों के संदर्भ में राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की मांग उठाई। उनके हाथों में पोस्टर भी थे।
सपा, वाम दल और जदयू के सदस्यों ने भी निलंबित आईपीएस अधिकारी वंजारा द्वारा लिखे गए पत्र का मुद्दा उठाया। बसपा सदस्यों ने अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाया। उधर, तेदेपा सदस्य तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले के विरोध में पोस्टर लिए हुए थे। हंगामा थमता न देख सभापति हामिद अंसारी ने बैठक 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
15 मिनट बाद बैठक शुरू होने पर सदन में वही नजारा था। उप सभापति पीजे कुरियन ने सदस्यों से शांत रहने के लिए कहा। कुरियन ने कहा कि आज सदन में भूमि अधिग्रहण विधेयक पर चर्चा होनी है। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है और उम्मीद है कि सभी सदस्य इस विधेयक को पारित कराने में सहयोग करेंगे। अपनी अपील का असर न होते देख उन्होंने बैठक दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे बैठक शुरू होने पर भी हंगामा नहीं थमा और बैठक बार बार स्थगित करनी पड़ी। शाम चार बजकर पांच मिनट तक बैठक कुल दस बार स्थगित की गई। इसके बाद सदन में भूमि अधिग्रहण विधेयक पर चर्चा शुरू हुई। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 4, 2013, 21:08