कोलगेट में भाजपा अपने मुख्यमंत्रियों से इस्तीफे मांगे : सिब्बल

कोलगेट में भाजपा अपने मुख्यमंत्रियों से इस्तीफे मांगे : सिब्बल

कोलगेट में भाजपा अपने मुख्यमंत्रियों से इस्तीफे मांगे  : सिब्बललखनऊ : केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने कोल ब्लॉक आवंटन मामले में भारतीय जनता पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा है कि सबसे पहले उसे लीज (पट्टा) की अनुमति देने वाले अपने मुख्यमंत्रियों से इस्तीफा देने को कहना चाहिए।

सिब्बल ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘यह सवाल उठाया जा रहा है कि कोल ब्लॉक का आवंटन किस आधार किसकी वजह से हुआ और आरोप केन्द्रीय अधिकारियों पर लग रहा है। मगर बुनियादी सवाल यह है कि लीज कौन अनुमोदित करता है।’ केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि खनन एवं खनिज नियमन तथा विकास अधिनियम के तहत लीज अनुमोदित करने का अधिकार केवल राज्य सरकारों को ही है। केन्द्र को कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘अगर किसी को कोई आपत्ति थी किसी व्यक्ति अथवा किसी कंपनी के पक्ष में लीज आवंटित क्यों हुई है तो यह किसकी जिम्मेदारी थी और किसको इस्तीफा देना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘यह जिम्मेदारी उन प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की थी, जिन्होंने लीज अनुमोदित की और इन्होंने ही तय किया कि लीज किसके पक्ष में जाएगी।’ सिब्बल ने कहा, ‘जो कमेटी बनी थी वह केवल साधन मात्र थी अगर कोई आपत्ति थी तो इनको (मुख्यमत्रियों) को कहना चाहिए था कि लीज संपादित नहीं करेंगे।’

केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘भाजपा के जो लोग आरोप लगा रहे हैं उन्हें अपने मुख्यमंत्रियों से इस बात के लिए इस्तीफा मांगना चाहिए कि उन्होंने लीज अनुमोदित क्यों होने दी।’ सिब्बल ने आरोप लगाया कि भाजपा नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के आधार पर कोल ब्लॉक आवंटन से देश को भारी आर्थिक नुकसान होने का भ्रम फैला रही है। दरअसल, आवंटन से हानि की गणना की बुनियाद ही गलत है।

सिब्बल ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘राज्यसभा के एक नेता ने कहा कि संसद में चर्चा कराने का कोई अर्थ इसलिए नहीं है, क्योंकि वहां सरकार का बहुमत है। लोक लेखा समिति में भी यही हाल है, इसलिए संसद की कार्यवाही चलने ही ना दो। मेरा मानना है कि कार्यवाही नहीं चलने देना फासीवादी कदम है।’ उन्होंने एक सवाल पर कहा कि विवादित कोल ब्लॉक आवंटन को रद्द करने से देश के ऊर्जा उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि एक कोयला खदान के काम शुरू करने योग्य बनने में सात-आठ साल का समय लगता है और अगर आवंटन रद्द कर दिया गया तो खदानों से कोयला निकालने में इतना ही और वक्त लगेगा। तब तक व्यापक रूप से कोयला आधारित हमारी अर्थव्यवस्था का क्या हाल होगा।

सिब्बल ने आरोप लगाया कि भाजपा आर्थिक व्यवस्था की बारीकियां जाने बगैर आवंटन रद्द करने की मांग कर रही है। ये गम्भीर मामले हैं जो संसद की कार्यवाही चलने देने से ही सुलझते हैं।
उन्होंने एक सवाल पर कहा कि वह कैग को अयोग्य नहीं ठहराना चाहते लेकिन यह बात सत्य है कि उनके नफे-नुकसान का गणित गलत है। सिब्बल ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण विधेयक को लेकर भी तरह-तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है। किसी को आरक्षण देने का फैसला लेने का अधिकार राज्य सरकारों को होगा। (एजेंसी)

First Published: Saturday, September 8, 2012, 18:35

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