क्या विभाजनकारी एजेंडा अपनाना जरूरी है: नीतीश

क्या विभाजनकारी एजेंडा अपनाना जरूरी है: नीतीश

क्या विभाजनकारी एजेंडा अपनाना जरूरी है: नीतीशनई दिल्ली : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरनगर सहित हाल में देश के कुछ क्षेत्रों में हुए साम्प्रदायिक दंगों के प्रति सोमवार को आगाह किया कि अगर इसे रोका नहीं गया तो यह प्रवृत्ति बढ़कर एक पैटर्न में बदल सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसी हिंसा को पूरे देश में नहीं फैलने दिया जा सकता।

भाजपा में नरेंद्र मोदी की भूमिका बढ़ाए जाने के विरोध में जदयू द्वारा राजग से 17 साल पुराने रिश्ते तोड़ लेने के बाद कुमार ने पहली बार यहां राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में दिए अपने भाषण में सवाल किया कि क्या वोट हासिल करने की प्रतिस्पर्धात्मक राजनीति में ‘विभाजनकारी एजेंडा को कट्टरता के साथ अपनाना आवश्यक है?’ उन्होंने कहा कि हम पाते हैं कि जब भी सांप्रदायिक हिंसा होती है, प्राय: राजनैतिक वर्ग की मिलीभगत से असामाजिक तत्व इसमें शक्ति प्रदान कर देते हैं।

मुजफ्फरनगर में क्या हुआ, यह हमने देखा है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है। हम इस हिंसा को पूरे देश में नहीं फैलने दे सकते हैं। कुछ शक्तियां सांप्रदायिक तनाव में आग में घी देने का कार्य स्थिति को अपने पक्ष में करने के लिए करती हैं। उन्होंने कहा कि राजननीति की यह सोच मुझे विस्मित कर देती है। हमें ऐसी शक्तियों से अपनी पूरी शक्ति के साथ उनके नापाक इरादों को धराशायी करने के लिए लड़ना होगा। हाल की साम्प्रदायिक हिंसाओंे के परिदृष्य में बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परिदृष्य में सभी राजनैतिक दलों की अहम भूमिका है। बहुदलीय लोकतंत्र हमेशा वोट के एक बड़े हिस्से को हासिल करने के उद्देश्य से प्रतिस्पर्धात्मक राजनीति की ओर अग्रसर होता है। परंतु यह अवश्य पूछना होगा कि इसके फलस्वरूप विभाजनकारी एजेंडा को कट्टरता के साथ अपनाना क्या इस अपेक्षा के लिए आवश्यक है। (एजेंसी)

First Published: Monday, September 23, 2013, 14:22

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