Last Updated: Sunday, August 19, 2012, 12:58
नई दिल्ली : भारत में अबतक विभिन्न दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान मरने वाले 2 हजार 374 लोगों में से सिर्फ 38 लोगों के परिजनों को ही मुआवजा मिल पाया है। देश में जनवरी 2007 से जून 2012 के दौरान हुए क्लीनिकल ट्रायल के दौरान या संबंधित दवाओं के प्रभाव के बाद अबतक कुल 2374 लोगों की मौत हुई।
भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2011 में विभिन्न दवा कंपनियों की ओर से किए गए क्लीनिकल ट्रायल के दौरान मरने वाले 438 लोगों में से अबतक सिर्फ 16 लोगों के परिजनों को ही मुआवजा मिल पाया है। डीसीजीआई कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 से पहले कुल 22 मामलों में मुआवजा मिला था।
वर्ष 2011 के दौरान 16 लोगों को मिले मुआवजे की कुल रकम लगभग 35 लाख रुपए है, जिसमें दवा क्षेत्र की जानी मानी कंपनी फाइजर ने सबसे अधिक पांच लाख रुपए का मुआवजा दिया है। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ता इंदौर के डॉ. आनंद राय ने आरटीआई के तहत डीसीजीआई कार्यालय से यह जानकारी हासिल की है। इससे पहले मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 से पहले क्लीनिकल ट्रायल के दौरान हुई मौतों के सिर्फ 22 मामलों में ही मुआवजा दिया गया है। इन 22 मामलों में मिली मुआवजे की कुल रकम लगभग 50 लाख रुपए थी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 19, 2012, 12:58