Last Updated: Wednesday, December 21, 2011, 04:14
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली : सबको भोजन देने की गारंटी वाली सरकार की महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा बिल पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद अब इसके संसद में गुरुवार को पेश किये जाने की संभावना है। खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने यह जानकारी दी। इस बिल को आज ही पेश होना था।
खाद्य सुरक्षा बिल सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार समिति की लोकप्रिय परियोजना है। यह 2009 के चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र का भी हिस्सा थी। इस बिल के साथ पेंशन विधेयक को भी संसद में आज पेश किया जा सकता है।
यूपीए की प्रमुख सोनिया गांधी की इस दिली योजना के लागू होने से देश की 63.5 प्रतिशत आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक हासिल हो जाएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में रविवार शाम को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी गई। इस विधेयक के लागू होने के बाद सरकार का खाद्य सब्सिडी पर खर्च 27,663 करोड़ रुपए बढ़कर 95,000 करोड़ रुपए सालाना हो जाएगा। इस पर अमल के लिए खाद्यान्न की जरूरत मौजूदा के 5.5 करोड़ टन से बढ़कर 6.1 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के बाद यह संप्रग सरकार की दूसरी बड़ी पहल है। कांग्रेस ने 2009 के चुनाव घोषणा पत्र में इस कानून को लाने का वादा किया था। देश के ग्रामीण क्षेत्र की तीन चौथाई (75 फीसद आबादी) और शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत आबादी को इस कानून के दायरे में लाया जा रहा है।
इस कानून का लाभ पाने वाली ग्रामीण आबादी की कम से कम 46 प्रतिशत आबादी को ‘प्राथमिकता वाले परिवार’ की श्रेणी में रखा जाएगा जो मौजूदा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ये गरीबी रेखा से नीचे के परिवार कहे जाते हैं। शहरी क्षेत्रों की जो आबादी इसके दायरे में आएगी उसका 28 प्रतिशत प्राथमिकता वाली श्रेणी में होगा। विधेयक के तहत प्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति सात किलो मोटा अनाज, गेहूं या चावल क्रमश: एक, दो और तीन रुपए किलो के भाव पर सुलभ कराया जाएगा। यह राशन की दुकानों के जरिए गरीबों को दिए जाने वाले अनाज की तुलना में सस्ता है।
इस विधेयक में बेसहारा और बेघर लोगों, भुखमरी और आपदा प्रभावित व्यक्तियों जैसे विशेष समूह के लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसके अलावा इसमें गरीब गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान काराने वाली माताओं और बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था का प्रावधान है। महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए इस योजना के तहत राशन कार्ड परिवार की सबसे बड़ी महिला के दाम जारी करने का प्रस्ताव है।
विधेयक में यह महत्वपूर्ण प्रावधान भी किया गया है कि सूखा या बाढ़ जैसी प्राकृतक आपदा के कारण अनाज की कमी होने पर संबंधित राज्यों को नकद भुगतान करेगा। व्यक्ति को उसके हक के अनुसार सस्ता अनाज सुलभ न होने की स्थिति में राज्य सरकार पर उसे ‘खाद्य सुरक्षा भत्ता’ देना होगा। शिकायतों के निवारण के लिए जिला शिकायत निवारण अधिकारी, राज्य खाद्य आयुक्त और राष्ट्रीय खाद्य आयुक्त के कार्यालय बनाए जाएंगे। विधेयक के मसौदे में जिला शिकायत निवारण अधिकारी की सिफारिश का अनुपालन न करने वाले सरकारी कर्मचारी पर 5,000 तक के अर्थदंड का प्रावधान किया है।
First Published: Wednesday, December 21, 2011, 21:54