खाद्य सुरक्षा योजना का रोडमैप तैयार, 20 अगस्त से होगी शुरुआत

खाद्य सुरक्षा योजना का रोडमैप तैयार, 20 अगस्त से होगी शुरुआत

खाद्य सुरक्षा योजना का रोडमैप तैयार, 20 अगस्त से होगी शुरुआतज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ड्रीम प्रोजेक्ट खाद्य सुरक्षा योजना का रोडमैप तैयार कर लिया गया है। यूपीए सरकार ने इस योजना को 20 अगस्त से लागू करने का निर्णय किया है। मालूम हो कि 20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की जयंती है।

खाद्य सुरक्षा विधेयक को किस तरह और कितनी तेजी से लागू किया जाए, इसको लेकर शनिवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर एक बैठक हुई। बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बैठक में पार्टी शासित राज्यों से कहा कि वे खाद्य सुरक्षा योजना को जस का तस लागू करें।

कांग्रेस की रणनीति अपने राज्यों में इस योजना को जल्द लागू करने के साथ−साथ उन राज्यों के वोटरों तक भी संदेश पहुंचाने की है, जहां विपक्षी दलों की सरकार है। दरअसल, मनरेगा की तरह खाद्य सुरक्षा योजना को भी चुनावी कार्ड की तरह इस्तेमाल करने की योजना है।

इसी साल नवंबर महीने में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर योजना की शुरूआत दिल्ली से 20 अगस्त को की जाएगी। दिल्ली में यह योजना दो चरणों में लागू की जाएगी। पहले चरण में 5.21 लाख परिवारों को शामिल किया जाएगा। पहले चरण में सभी गरीबी रेखा से नीचे वाले (बीपीएल) परिवारों, एपीएल राशनकार्ड धारकों और अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों को शामिल किया जाएगा। सरकार ने बेघर लोगों, दिहाड़ी मजदूरों, कूड़ा बीनने वालों, पुनर्वास कालोनियों व स्लम में रहने वाले लोगों को भी पहले चरण में शामिल करने का फैसला किया है। बैठक में खाद्य सुरक्षा बिल को लेकर उठाए जाने वाले अगले कदम को लेकर चर्चा हुई।

कांग्रेस का मानना है कि यह योजना चुनाव में उसके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। करीब एक घंटे तक चली बैठक में सोनिया ने कहा कि यह योजना जल्द से जल्द लागू की जानी चाहिए। बैठक ऐसे समय हुई है जब पार्टी इस योजना को प्रोजेक्ट कर रही है। इस योजना में 82 करोड़ लोगों को सस्ते दाम पर अनाज उपलब्ध कराने का प्रावधान है। सरकार का कहना है कि अध्यादेश इसलिए लाया गया है क्योंकि बिल की प्रक्रिया में कम से कम तीन माह का समय लगेगा। वहीं जानकारों का कहना है कि जमीनी हकीकत व कमजोर आधारभूत ढांचे के चलते यूपीए के लिए इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा।

First Published: Saturday, July 13, 2013, 15:56

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