Last Updated: Saturday, August 10, 2013, 16:32

चंडीगढ़ : हरियाणा के गांव में राबर्ट वाड्रा का भूमि सौदा एक बार फिर कांग्रेस पार्टी और उसकी अध्यक्ष के लिए परेशानी का सबब बनता दिख रहा है। भंडाफोड़ करने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खोमका ने आरोप लगाया है कि वाड्रा ने गुड़गांव में 3.53 एकड़ जमीन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया और वाणिज्यिक कॉलोनी के लाइसेंस पर बड़ा मुनाफा हासिल किया।
वाड्रा-डीएलएफ सौदे की जांच के संदर्भ में पिछले वर्ष अक्तूबर में हरियाणा सरकार की ओर से गठित की गई तीन सदस्यीय जांच समिति के समक्ष विस्तृत जवाब पेश किया।
समझा जाता है कि खेमका ने वाड्रा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन के लिए फर्जी लेनदेन किया। खेमका ने आरोप लगाया कि वाड्रा ने वाणिज्यिक लाइसेंस पर बड़ी राशि प्राप्त की।
आईएएस अधिकारी ने आरोप लगाया कि हरियाणा के शहरी एवं क्षेत्रीय योजना विभाग (डीटीसीपी) ने नियमों एवं नियमन को नजरंदाज करते हुए दलालों के रूप में काम करने से संबंधित सांठगांठ वाले पूंजीवादियों (क्रोनी कैपिटलिज्म) को फलने-फूलने की अनुमति दी।
खेमका ने आरोप लगाया, ‘डीटीसीपी की मदद से वाड्रा ने फर्जी लेनदेन किया।’ खेमका ने 21 मई को अपना जवाब पेश किया था। इसमें कहा गया है कि 12 फरवरी 2008 के बिक्री के दोनों अनुबंध में वाड्रा की कंपनी ‘स्काईलाइट हास्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज से जमीन खरीदी और मार्च 2008 में डीटीसीपी की ओर से उनकी कंपनी को वाणिज्यिक लाइसेंस प्रदान करने के लिए जारी आशय पत्र फर्जी लेनदेन है ताकि वाड्रा को बाजार से मुनाफा हासिल हो सके।
उन्होंने सवाल किया, ‘अगर कोई भुगतान नहीं किया गया जैसा की पंजीकृत दस्तावेज में आरोप लगाया गया है, तब क्या यह कहा जा सकता है कि उक्त भूमि पर पंजीकृत दस्तावेज में स्काईलाइट हास्पिटैलिटी को स्वामित्व फर्जी बिक्री के माध्यम से दिया गया।’
पिछले वर्ष अक्तूबर में वाड्रा और डीएलएफ के बीच जमीन का म्यूटेशन रद्द करने वाले खेमका ने दावा किया कि पंजीकृत दस्तावेत में भविष्य में कोई भुगतान नहीं करने का वायदा किया गया था।
समझा जाता है कि खेमका ने 100 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि कोई राशि का भुगतान नहीं किया गसा जैसा की पंजीकृत दस्तावेज में दावा किया गया। इस दस्तावेज में बिक्री के पंजीकरण को सही अर्थों में कानूनी या नैतिक रूप में बिक्री नहीं कहा जा सकता और यह नहीं कहा जा सकता कि स्काईलाइट हास्पिटैलिटी दस्तावेज में बिक्री के पंजीकरण के माध्यम से जमीन का मालिक हो गया।
खेमका का जवाब सार्वजनिक होने पर, इस बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, ‘वह इस मुद्दे पर मीडिया में कुछ नहीं कहेंगे।’ हरियाणा के मुख्य सचिव पी के चौधरी ने कहा, ‘हम जवाब (खेमका के) की पड़ताल कर रहे हैं।’ हरियाणा सरकार की समिति ने इस वर्ष के प्रारंभ में कहा था कि वाड्रा से जुड़े भूमि सौदों की जांच के लिए खेमका की ओर से जारी आदेश नियमों या प्रावधानों के दायरे में नहीं आते हैं और उपयुक्त नहीं हैं।
इसके साथ ही समिति ने यह भी कहा था कि खेमका का जमीन का म्यूटेशन रद्द करने का आदेश उपयुक्त नहीं है। विगत में हस्तांतरित सभी ऐसे लायसेंसों की मंजूरी के संबंध में सार्वजनिक संपत्ति के कथित लूट का खुलासा करने के लिए श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए खेमका ने लिखा कि डीटीसीपी ने 2005 से 2012 के दौरान भुपिन्दर सिंह हुड्डा सरकार के कार्यकाल में पिछले आठ वर्ष में 213666 एकड़ जमीन के संबंध में विभिन्न तरह के कॉलोनी लाइसेंस जारी किया।
उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि अगर इस संबंध में कॉलोनी लाइसेंस के लिए बाजार मुनाफा न्यूनतम एक करोड़ रुपया मान लिया जाए तब पिछले आठ वर्षों में जमीन लाइसेंस घोटाला करीब 20,000 करोड़ रुपए का होगा।
उन्होंने दावा किया कि प्रति एकड़ 15.78 करोड़ रुपए के प्रीमियम पर यह राशि 3.5 लाख करोड़ रुपए जा सकती है। उन्होंने अपने पत्र में आरोप लगाया कि डीटीसीपी ने अप्रैल 2012 में स्काईलाइट को डीएलएफ को लाइसेंस हस्तांतरित करने की अनुमति दी और लाइसेंसशुदा जमीन अंतत: 18 सितंबर 2012 को डीएलएफ को बेच दी गई।
बहरहाल, इंडियन नेशनल लोक दल ने खेमका के जवाब पर उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से इसकी जांच कराने की मांग की है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 10, 2013, 14:05