Last Updated: Wednesday, August 31, 2011, 06:44
नई दिल्ली : एक बरस का इंतजार पूरा हुआ और जल्द ही धूम मच जाएगी सालाना गणेशोत्सव की. पौराणिक मान्यता है कि दस दिवसीय इस उत्सव के दौरान भगवान शिव और पार्वती के पुत्र गणेश पृथ्वी पर रहते हैं. शास्त्रों में दिलचस्पी रखने वाले आचार्य आख्यानंद कहते हैं कि भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है. उन्हें बुद्धि, समृद्धि और वैभव का देवता मान कर उनकी पूजा की जाती है.
गणेशोत्सव की शुरूआत हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, भादों माह में शुक्ल चतुर्थी से होती है. इस दिन को गणेश चतुर्थी कहा जाता है. दस दिन तक गणपति पूजा के बाद आती है अनंत चतुर्दशी जिस दिन यह उत्सव समाप्त होता है. गणपति उत्सव का इतिहास वैसे तो काफी पुराना है, लेकिन इस सालाना घरेलू उत्सव को एक विशाल, संगठित सार्वजनिक आयोजन में तब्दील करने का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक लोकमान्य तिलक को जाता है.
इतिहास के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. यू जी गुप्ता कहते हैं कि 1893 में तिलक ने ब्राह्मणों और गैर ब्राह्मणों के बीच की दूरी खत्म करने के लिए ऐलान किया कि गणेश भगवान सभी के देवता हैं. इसी उद्देश्य से उन्होंने गणेश उत्सव के सार्वजनिक आयोजन किए और देखते ही देखते महाराष्ट्र में हुई यह शुरूआत देश भर में फैल गई. यह प्रयास एकता की एक मिसाल साबित हुआ.
प्रो. गुप्ता ने कहा कि एकता का यह शंखनाद महाराष्ट्र वासियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एकजुट करने में बेहद कारगर साबित हुआ. इतिहास में गहरी दिलचस्पी रखने वाली प्रो. अमिया गांगुली ने बताया, ‘अंग्रेज हमेशा सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों के खिलाफ रहते थे. लेकिन गणेशोत्सव के दौरान हर वर्ग के लोग एकत्रित होते और तरह तरह की योजनाएं बनाई जातीं. स्वतंत्रता की अलख जगाने में इस उत्सव ने अहम भूमिका निभाई.’
पंडित आख्यानंद कहते हैं, ‘रोशनी, तरह-तरह की झांकियों, फूल मालाओं से सजे मंडप में गणेश चतुर्थी के दिन पूजा अर्चना, मंत्रोच्चार के बाद गणपति स्थापना होती है. यह रस्म षोडशोपचार कहलाती है. भगवान को फूल और दूब चढ़ाए जाते हैं तथा नारियल, खांड, 21 मोदक का भोग लगाया जाता है. दस दिन तक गणपति विराजमान रहते हैं और हर दिन सुबह-शाम षोडशोपचार की रस्म होती है. 11 वें दिन पूजा के बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है. कई जगहों पर तीसरे, पांचवे या सातवें दिन गणेश विसर्जन किया जाता है.’
First Published: Wednesday, August 31, 2011, 12:14