Last Updated: Saturday, November 3, 2012, 00:53

नई दिल्ली : पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने केंद्र सरकार के विरोध में एक कदम और बढ़ाते हुए आज संकेत दिया कि वह 4 दिसंबर को गन्ना उत्पादकों द्वारा संसद के प्रस्तावित घेराव में शामिल हो सकते हैं।
चीनी क्षेत्र को नियंत्रण मुक्त किए जाने की रंगराजन समिति की रिपोर्ट को खारिज करने की राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन (आरएकेएमएस) की मांग का समर्थन करने के लिए एक नए मंच पर पेश होकर पूर्व सेना प्रमुख ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य परामर्श मूल्य (सैप) और गन्ना आरक्षित क्षेत्र को खत्म करने का सुझाव उत्तरी क्षेत्र के किसानों के लिए नुकसानदेह होगा।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह और आरकेएमएस के संयोजक वीएम सिंह ने रंगराजन समिति की रिपोर्ट खारिज करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे अपने पत्र को जारी किया। पत्र में कहा गया है, ‘यदि इस रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जाता है, तब उत्तरी राज्यों के गन्ना उत्पादक इस रिपोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए 4 दिसंबर को संसद का घेराव करेंगे।’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह संसद के घेराव के आह्वान का समर्थन करेंगे, पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, ‘मैं किसानों के हित में किए गए आह्वान का समर्थन करता हूं।’
घेराव में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘वक्त आएगा तो देखेंगे। ऐसी स्थिति आएगी या नहीं, देखना होगा। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि प्रधानमंत्री इस रिपोर्ट पर पुनर्विचार करने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं।’ जनरल सिंह ने कहा कि समिति के राजस्व बंटवारा फार्मूले का सुझाव उचित नहीं है और इनमें उत्तरी राज्यों को बराबरी का मौका नहीं दिया गया है क्योंकि इन राज्यों में गन्ने से प्राप्त चीनी का अनुपात नौ फीसद के स्तर से कम है।
उल्लेखनीय है कि समिति ने सुझाव दिया है कि गन्ने में चीनी का औसतन रिकवरी 10.31 फीसदी मान कर मिलों को चीने से होने वाली कमाई का 70 फीसद हिस्सा चुकाया जाए। सिंह ने मांग की कि केंद्र को उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) मूल्य की घोषणा वाली व्यवस्था नहीं करनी चाहिए और सैप और आरक्षित गन्ना क्षेत्र की मौजूदा व्यवस्था जारी रहनी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 2, 2012, 21:42