गांधी का `ग्राम स्वराज` का सपना अवास्तविक : थरूर

गांधी का `ग्राम स्वराज` का सपना अवास्तविक : थरूर

गांधी का `ग्राम स्वराज` का सपना अवास्तविक : थरूरपणजी : केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री शशि थरूर ने यहां शुक्रवार को कहा कि आज हम जिस दौर में जी रहे हैं, उसमें महात्मा गांधी का `ग्राम स्वराज` का सपना वास्तविकता से काफी दूर है। थरूर भारतीय प्रबंधन संस्थान द्वारा पणजी के बाहरी इलाके मिरामर में आयोजित `विश्व प्रबंधन कॉन्फ्रेंस` में अपने वक्तव्य के बाद सवाल-जवाब सत्र में हिस्सा ले रहे थे।

थरूर ने कहा, `ग्राम स्वराज की अवधारणा यथार्थ से दूर है। विश्व दूसरी दिशा में बढ़ रहा है। हम एक बहुत ही अंतर-निर्भर दुनिया के लोग हैं।` यह विचार कि गांव अपने खाद्यान्न उत्पादित करेंगे और वे आत्मनिर्भर बनेंगे, हमारे जीवनकाल में संभव नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र में अधिकारी रह चुके थरूर ने कहा, `ग्राम स्वराज का विचार अंतर-निर्भर और वैश्वीकरण के युग में असंभव जान पड़ता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कोई यथार्थ साधन नहीं है।` थरूर ने यह भी कहा कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के बहुत बड़े प्रशंसक नहीं हैं।

उन्होंने कहा, `पीएसयू को छोटा होना चाहिए। उसे ऐसे क्षेत्र में होना चाहिए, जिसमें सार्वजनिक स्वामित्व की दरकार है।` इसे उन्होंने अपनी निजी राय बताया। राज्य मंत्री ने कहा कि वह पूरी तरह निजीकृत उड्डयन क्षेत्र देखना चाहेंगे। (एजेंसी)

First Published: Friday, May 31, 2013, 18:20

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