Last Updated: Thursday, December 29, 2011, 10:01
नई दिल्ली : रूस की अदालत द्वारा भगवद गीता पर प्रतिबंध की याचिका खारिज किये जाने के एक दिन बाद सरकार ने गुरुवार को कहा कि अदालत के फैसले से इस बात की पुष्टि होती है कि याचिकाकर्ता ने पवित्र ग्रंथ के मूल पाठ का अध्ययन नहीं किया।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में कहा कि कल मुझे विदेश सचिव से जानकारी मिली कि जिस उच्च अदालत में मामले पर सुनवाई हो रही थी उसने याचिका को खारिज कर दिया है और स्पष्ट दर्शाया है कि जिसने याचिका दाखिल की और टिप्पणी की उसने मूल भाषा में पाठ का अध्ययन नहीं किया। लोकसभा के शीतकालीन सत्र के अनिश्चितकालीन स्थगन से कुछ देर पहले सदन के नेता मुखर्जी ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी के किए अनुवाद पर निर्भर रहा और उसके आधार पर यह त्रुटिपूर्ण परिणाम सामने आया।
सदन में इस विषय पर हुए विरोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इस बारे में लोकसभा में दिए बयान में कहा था कि गीता के बारे में याचिकाकर्ता ने जो बाते कहीं हैं वे यह बेतुकी हैं और रूस की अदालत ने अपने फैसले से उनकी बात की पुष्टि की है।
रूस की अदालत द्वारा याचिका खारिज करने के फैसले को भारत ने ‘संवेदनशील समाधान’ कहा है। रूस की अदालत ने कल उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें भगवद गीता के अनुदित संस्करण को ‘‘उग्रवादी साहित्य’’ बताकर उस पर पाबंदी की मांग की गई थी।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, December 29, 2011, 18:32