Last Updated: Sunday, August 4, 2013, 15:19

नई दिल्ली : गुजरात में चिमनभाई पटेल सरकार के खिलाफ छात्र विद्रोह ने 70 के दशक में जयप्रकाश नारायण को ‘बिहार आंदोलन’ की प्रेरणा दी जिसके बाद आपातकाल लगा था । उस दौरान के आधिकारिक दस्तावेजों से यह पता चलता है।
गुजरात के युवकों में जयप्रकाश को ऊर्जा नजर आई और पूर्वी राज्य में आंदोलन चलाने की प्रेरणा मिली जो देश के अधिकतर हिस्से में फैल गया। राज्यसभा में तत्कालीन गृह मंत्री ब्रह्मानंद रेड्डी ने 21 जुलाई 1975 को 26 जून को आपातकाल की घोषणा के अनुमोदन के लिये लाये गये प्रस्ताव पर भाषण दिया था जो दोनों राज्यों के बीच संबंधों को दर्शाता है और बताता है कि किस तरह जयप्रकाश को पश्चिमी राज्य में ‘छात्र आंदोलन’ से प्रेरणा मिली।
रेड्डी ने तीन अगस्त 1974 के ‘एवरीमैन्स वीकली’ में जेपी जयप्रकाश इसी नाम से जाने जाते थे के बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था, ‘वर्षों से मैं रास्ता तलाशने में जुटा था। वास्तव में मेरा उद्देश्य नहीं बदला और मैं इसे पाने के लिए सही रास्ता तलाशता रहा। मैंने आम सहमति की राजनीति की कोशिश में दो वर्ष बर्बाद किए। लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ।’
उन्होंने कहा था, ‘तब मैंने गुजरात में छात्रों को लोगों के सहयोग से राजनीतिक बदलाव का प्रयास करते देखा और देखा कि यही रास्ता है।’ यह भाषण आपातकाल के समय के दस्तावेजों में है जो हाल में भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार से प्राप्त हुआ है।
दस्तावेजों में 11 जुलाई 1975 के सात चैप्टर की एक रिपोर्ट है और इसके शीर्ष कवर पर इंटेलिजेंस ब्यूरो का लेबल लगा है। इसमें गुजरात आंदोलन, ‘बिहार आंदोलन’ पर इसके प्रभाव और आपातकाल के रूप में इसकी परिणति को दर्शाया गया है।
जेपी के नेतृत्व में बिहार के आंदोलन ने ‘संपूर्ण क्रांति’ का रूप धारण किया और शुरू में गफूर मंत्रालय के इस्तीफे की मांग ने इंदिरा गांधी सरकार को बर्खास्त करने की मांग का रूप ले लिया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 4, 2013, 15:19