Last Updated: Monday, July 30, 2012, 17:00

मेहसाणा (गुजरात): वर्ष 2002 में हुये दीप्दा दरवाजा दंगा मामले में 21 को उम्रकैद और पुलिस निरीक्षक को एक साल का कारावास की सजा सुनाई गई है। इससे पहले मेहसाणा की एक अदालत ने साल 2002 के दीपड़ा दरवाजा दंगा मामले में आज 22 लोगों को दोषी ठहराया लेकिन उन्हें हत्या और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोपों से मुक्त कर दिया। इस मामले में एक ही परिवार के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
विशेष न्यायाधीश एस सी श्रीवास्तव ने 83 आरोपियों में से 61 अन्य को बरी कर दिया। इन आरोपियों में भाजपा के पूर्व विधायक प्रह्लाद गोसा और भाजपा के पूर्व नगर निगम अध्यक्ष दयाभाई पटेल भी शामिल थे।
अदालत ने 21 अभियुक्तों को को हत्या के प्रयास और दंगा करने के आरोप में दोषी ठहराया है जबकि विसनगर के पूर्व पुलिस निरीक्षक ए के पटेल को कर्तव्यहीनता के आरोप में दोषी ठहराया गया ।
अदालत ने इस मामले में 10 आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया जबकि शेष अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ दिया गया है।
गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान उग्र भीड़ ने मेहसाणा जिले के विसनगर शहर के दीपड़ा दरवाजा इलाके में 28 फरवरी 2002 को एक ही परिवार के 11 सदस्यों की हत्या कर दी थी। इस घटना में मरने वालों में दो बच्चे और 65 साल की एक महिला भी शामिल थी।
इस मामले में शुरूआत में तीन महिलाओं समेत 83 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे लेकिन बाद में अदालत ने शिकायतकर्ता मोहम्मद इकबाल बलूच के आवेदन को मंजूर कर लिया और भाजपा के पूर्व विधायक प्रह्लाद गोसा और विसनगर शहर के पूर्व पुलिस निरीक्षक एम के पटेल को भी आरोपी बनाया। इसके साथ ही आरोपियों की कुल संख्या 85 हो गई थी। हालांकि, अदालत ने जिन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे उनमें से एक अपराध के समय नाबालिग था। इस नाबालिग आरोपी का मामला किशोर अदालत में भेज दिया गया था जबकि एक अन्य आरोपी की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान अदालत ने 167 गवाहों का परीक्षण किया। उनमें से 12 मुख्य गवाह थे। दीपड़ा दरवाजा मामले में आरोपियों में तीन महिलाएं भी शामिल थीं। उनपर हत्या और अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया था लेकिन अदालत ने सभी को बरी कर दिया । (एजेंसी)
First Published: Monday, July 30, 2012, 17:00