गुटखा बिक्री प्रतिबंध पक्षपातपूर्ण : एसटीए

गुटखा बिक्री प्रतिबंध पक्षपातपूर्ण : एसटीए

गुटखा बिक्री प्रतिबंध पक्षपातपूर्ण : एसटीएनई दिल्ली : गुटखा निर्माताओं के हित में काम करने वाली ‘स्मोकलेस टोबेको ग्रोवर्स एसोसिएशन’ (एसटीए) ने गुटखा बिक्री के प्रतिबंध को ‘पक्षपातपूर्ण’ बताते हुये कहा कि अभी भी बाजार में सिगरेट और बीड़ी की धडल्ले से बिक्री हो रही है। इस समय 14 राज्यों में गुटखा की बिक्री पर प्रतिबंधित है।

एसटीए ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक नियामक कानून 2011 के तहत गुटखा की बिक्री प्रतिबंधित नहीं करनी चाहिए क्योंकि गुटखा को सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद कानून 2003 (सीओटीपीए) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।

एसोसिएशन के सदस्य सी के शर्मा ने बताया कि संघ के सदस्यों ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की और बताया कि किस प्रकार से केन्द्र की सलाह पर 14 राज्यों में गुटखा बिक्री को प्रतिबंधित किया गया जिसके चलते तंबाकू उत्पादन से जुड़े करीब चार करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधि मंडल में शामिल शर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले पर गौर करने और इसके संबंध में उचित सिफारिश देने के लिए एक उप-समिति बनाने का भरोसा दिया है।

शर्मा ने कहा कि गुटखा को तंबाकू उत्पाद की क्षेणी में रखते हुये भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने इसकी बिक्री प्रतिबंधित कर दी है। शर्मा ने कहा, यह पक्षपातपूर्ण है क्योंकि सिगरेट और बीड़ी में गुटखा से अधिक मात्रा में तंबाकू होती है, लेकिन उसकी बिक्री को प्रतिबंधित नहीं किया गया है, जबकि गुटका की बिक्री बंद कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि गुटखा कोई खाद्य उत्पाद नहीं है और इससे बिक्री प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि गुटखा निर्माता सीओटीपीए नियामक के तहत कार्य करते हैं और वे अपने उत्पादों में वैधानिक चेतावनी भी छाप रहे थे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, बिहार, झारखंड़, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, मणिपुर, अरुणांचल प्रदेश, दिल्ली और गोवा में गुटखा की बिक्री प्रतिबंधित है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, November 4, 2012, 13:19

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