गे सेक्स का सरकार ने किया विरोध - Zee News हिंदी

गे सेक्स का सरकार ने किया विरोध



नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गे सेक्स यानि समलैंगिक सेक्स को मान्यता देने का विरोध किया है। दो वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक शारीरिक संबंधों को अपराध नहीं मानने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनावाई के दौरान गृह मंत्रालय ने कहा कि यह बहुत ही अनैतिक और हमारी सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ है। मंत्रालय ने अपनी दलील में यह भी कहा कि हमारे नैतिक व सामाजिक मूल्य अन्य देशों से अलग हैं और हमें उनसे गाइडेड नहीं हो सकते हैं।

 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को समलैंगिक संबंधों को अत्यंत अनैतिक और सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ करार देते हुए इन्हें अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध किया ।

 

मंत्रालय की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा ने दलील दी कि भारतीय समाज अन्य देशों से भिन्न है और यह विदेशों का अनुकरण नहीं कर सकता ।

 

मल्होत्रा ने न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी तथा न्यायमूर्ति जे  मुखोपाध्याय की पीठ के समक्ष तर्क दिया , ‘समलैंगिक संबंध बहुत अनैतिक तथा सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ हैं और इस तरह के कृत्यों से बीमारियां फैलने के ज्यादा अवसर होते हैं ।’ उन्होंने कहा , ‘हमारा संविधान अलग है और हमारी नैतिकता तथा हमारे मूल्य भी दूसरे देशों से भिन्न हैं , इसलिए हम दूसरे देशों के मूल्यों पालन नहीं कर सकते ।’

 

मल्होत्रा ने कहा कि समलैंगिक संबंधों को समाज द्वारा अस्वीकार किया जाना इन्हें अपराध की श्रेणी में रखने का पर्याप्त आधार है ।

 

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि भारतीय समाज समलैंगिकता को अस्वीकार करता है और कानून समाज से अलग नहीं चल सकता । हाईकोर्ट ने 2009 में दिए अपने फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था ।

 

सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक अधिकार विरोधी कार्यकर्ताओं , राजनीतिक , सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिन्होंने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध किया है ।

 

सात फरवरी 2011 को पीठ ने मामले में सशस्त्र बलों को अभियोजित करने से इंकार कर दिया था । हाईकोर्ट के फैसले से विवाद खड़ा हो गया था और कई राजनीतिक , सामाजिक तथा धार्मिक संगठनों ने शीर्ष अदालत से मामले पर अंतिम फैसला देने को कहा था ।

 

वरिष्ठ भाजपा नेता बीपी सिंघल ने उच्च न्यायालय के फैसले को यह कहकर शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी कि इस तरह के कृत्य अवैध , अनैतिक और भारतीय संस्कृति के मूल्यों के खिलाफ हैं । आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड , उत्कल क्रिश्यिन काउंसिल और एपोस्टोलिक चर्चेज एलायंस जैसे धार्मिक संगठनों ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी ।

 

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग , तमिलनाडु मुस्लिम मुन कझगम , ज्योतिषी सुरेश कुमार कौशल और योग गुरु बाबा रामदेव ने भी उच्च न्यायालय के फैसले का शीर्ष अदालत में विरोध किया था ।

First Published: Friday, February 24, 2012, 00:13

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