गैंगरेप पीड़िता को सिंगापुर भेजने के फैसले का डॉक्टरों ने किया बचाव--Doctors defend decision to shift Delhi gang-rape victim to Singapore

गैंगरेप पीड़िता को सिंगापुर भेजने के फैसले का डॉक्टरों ने किया बचाव

नई दिल्ली : चलती बस में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की को इलाज के लिए सिंगापुर भेजे जाने को लेकर उठते सवालों के बीच, सफदरजंग अस्पताल में उसका इलाज करने वाले दल के प्रमुख डॉक्टर तथा पीड़ित के साथ हवाई एंबुलेन्स में गए अन्य डॉक्टरों ने आज इस फैसले की आलोचनाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनका इरादा किसी भी सूरत में लड़की को बचाना था।

सफदरजंग अस्पताल के सुपरिन्टेन्डेंट डॉ बी डी अथानी ने कहा कि यह समय इस बात को लेकर बहस करने का नहीं है कि पीड़ित को सिंगापुर भेजने का फैसला राजनीतिक आधार पर था या चिकित्सकीय आधार पर।

उन्होंने कहा ‘एकमात्र और सिर्फ एकमात्र इरादा हर सूरत में उसकी जान बचाने का था। पूरा देश उसके लिए प्रार्थना कर रहा था और हर व्यक्ति को उम्मीद थी कि वह ठीक हो जाएगी। हम उम्मीद नहीं त्याग सकते थे। हम उसकी जान बचाना चाहते थे।’ मेदान्ता मेडिसिटी हॉस्पिटल के चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ यतीन मेहता ने कहा कि वह पीड़ित को सिंगापुर भेजने के फैसले की आलोचना से आश्चर्यचकित हैं।

कुछ विशेषज्ञों जैसे गंगाराम अस्पताल के डॉ समीरन नन्दी ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि गंभीर रूप से बीमार ऐसी मरीज को क्यों विदेश भेजा गया जिसके रक्त और शरीर में संक्रमण था, तेज बुखार था और जो वेन्टीलेटर पर थी। आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया में डॉ मेहता ने कहा ‘अक्सर डॉक्टर दूसरे डॉक्टरों के फैसले की आलोचना करते हैं और यह सही नहीं है।’ उन्होंने कहा कि मरीज सिंगापुर के अस्पताल में 48 घंटे जीवित रही और यह नहीं ंकहा जा सकता कि उसे वहां नहीं भेजा जाना चाहिए था।

डॉ मेहता ने कहा ‘दूसरी बात यह है कि भारत में सरकारी अस्पतालों और सिंगापुर के माउंट एलिजबेथ अस्पताल के बीच कोई तुलना नहीं है। मैं डॉक्टरों की कुशलता के बारे में नहीं बल्कि बुनियादी सुविधाओं के बारे में बात कर रहा हूं। हमें यह पता होना चाहिए।’ डॉ अथानी ने कहा कि पीड़ित की आंत और जननांगों में अत्यंत गंभीर चोटें थीं। उन्होंने कहा ‘हमने उसकी आंत का बहुत बड़ा हिस्सा संक्रमण की वजह से निकाल दिया था। जो चोटें थीं वह अत्यंत गंभीर किस्म की थीं। हमने जननागों की चोट के बारे में बात नहीं की क्योंकि उससे तब उसके स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ रहा था।’
अथानी ने कहा कि इलाज के बाद शुरूआती पांच दिन तक लड़की की हालत स्थिर थी और सुधार के संकेत दिख रहे थे लेकिन सेप्सिस :रक्त में संक्रमण: होने की वजह से उसकी हालत बिगड़ गई। डॉक्टर ने कहा ‘उसकी इच्छाशक्ति प्रबल थी और उसने पुलिस को दो बयान दिए। वह होश में थी।’ अथानी ने कहा कि पैरामेडिकल की छात्रा का सफदरजंग अस्पताल में और हवाई एंबुलेन्स से सिंगापुर के माउंट एलिजबेथ मेडिकल सेंटर ले जाने के बाद वहां भी बेहतरीन इलाज किया गया।

सिंगापुर का अस्पताल एक साथ अनेक अंगों के प्रतिरोपण की सुविधाओं के लिए जाना जाता है। अथानी ने कहा कि भारत से अभिनेता रजनीकांत और राजनीतिज्ञ अमर सिंह जैसी जानीमानी हस्तियां वहां इलाज के लिए गईं और ठीक हो कर लौटी हैं। डॉ मेहता ने कहा कि लड़की की हालत दिल्ली की तुलना में वहां ज्यादा बिगड़ गई।

उन्होंने कहा ‘हमने कल दिल्ली रवाना होने से पहले उससे मुलाकात की थी। दिल्ली की तुलना में उसकी हालत ज्यादा खराब हो गई थी। उसे बहुत गंभीर चोटें आई थीं और हमने उसे बचाने के लिए भरसक प्रयास किए।’ मेहता ने भी कहा कि पीड़ित को हवाई एंबुलेन्स से सिंगापुर ले जाने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि वहां अंग प्रतिरोपण के लिए बेहतरीन अस्पतालों में से एक है। एक और मुख्य कारण यह भी था कि उसकी जान बचाना सबसे पहला उद्देश्य था।

डॉ अथानी ने कहा ‘वह बहुत बहादुर लड़की थी।’ उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे बचाने के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन उसकी चोटों की प्रकृति ऐसी थी कि उसे बचाया नहीं जा सका। डॉ अथानी ने कहा ‘ऐसी चोटों वाले अत्यंत गंभीर मरीजों को भी आईसीयू में भर्ती किया जाता है और उनमें से कई बच जाते हैं। यह एक अत्यंत गंभीर मामला था।’ उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ ने सचमुच कड़ा परिश्रम किया। इसका प्रतिफल भी मिला और 16 दिसंबर की रात को गंभीर रूप से घायल अवस्था में यहां लाने के बाद वह कम से कम 12 दिन तक जीवित रह सकी। चौथे दिन से उसकी हालत बिगड़ने लगी। तीसरे ऑपरेशन के बाद वह बिल्कुल नहीं उबर पाई। उसकी चेतना का स्तर भी कम हो गया था।

डॉ अथानी ने कहा कि उसने हालात से मुकाबला करने और जीने का इरादा जाहिर किया था। उसकी ज्यादातर बातचीत उसकी मां के साथ होती थी। शुरूआती तीन दिन के बाद ऐसा लगने लगा था कि वह ठीक हो जाएगी।

डॉ मेहता ने कहा ‘सफदरजंग अस्पताल से निकलते समय उसकी हालत बहुत खराब हो चुकी थी। उसे बहुत बुरी तरह जख्मी किया गया था। उसकी आंत का कोई भी भाग अच्छी हालत में नहीं था।’ पीड़ित को सिंगापुर के अस्पताल में क्यों भेजा गया। इस पर डॉ मेहता ने कहा ‘वहां का अस्पताल दुनिया के इस हिस्से के बेहतरीन अस्पतालों में से एक है और वहां के डॉक्टरों के साथ मेरी कई बार बातचीत हुई। मैंने वहां की सुविधाएं और उपकरण खुद देखे हैं।’
हवाई एम्बुलेन्स में पीड़िता की हालत के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में डॉ मेहता ने कहा ‘वह गंभीर रूप से बीमार थी। हम मेदान्ता मेडीसिटी से हैं और मेदान्ता से अनुरोध किया गया था कि उसे सिंगापुर ले जाने में हम मदद करें क्योंकि हमें अत्यंत गंभीर हालत वाले मरीजों को हवाई एम्बुलेन्स से ले जाने का अनुभव है।’ उन्होंने कहा कि जब एम्बुलेन्स पीड़िता को लेकन सफदरजंग अस्पताल से हवाईअड्डे जा रही थी तो वह बीमार थी। ‘लेकिन उसकी हालत इतनी खराब नहीं थी कि उसे ले जाया न जा सके। बहरहाल, वह बहुत ज्यादा गंभीर रूप से बीमार थी।’ डॉ मेहता ने कहा कि उड़ान के दौरान उसके फेफड़ों में थोड़ी समस्या आ गई थी।

उन्होंने कहा ‘उसे वेन्टीलेटर पर 60 फीसदी ऑक्सीजन दी जा रही थी जिसे हमने बढ़ा कर 70 फीसदी कर दिया था। बाकी.. उसकी हालत तो वैसी ही थी। हमें यह पता नहीं था कि सिर का सीटी स्कैन नहीं किया गया था क्योंकि यह उस समय नहीं किया जा सकता था। इसलिए उसे माउंट एलिजबेथ अस्पताल ले जाने के बाद हम सबसे पहले उसे एक्सरे विभाग ले गए ताकि उसके पूरे शरीर का स्कैन हो। इससे पता चला कि मस्तिष्क में सूजन आ रही थी।’ माउंट एलिजबेथ हॉस्पिटल के डॉ वी पी नायर ने कहा कि तीव्र संक्रमण, दिल के दौरे, मस्तिष्क का काम न करना, आंत में चोट .. इन सभी कारणों से लग रहा था कि उसके बचने की संभावना नहीं के बराबर है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, December 29, 2012, 10:03

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