Last Updated: Monday, October 8, 2012, 23:36
नई दिल्ली : रूस के साथ मंत्री स्तरीय वार्ता से पहले भारत ने आज चेतावनी दी कि विमान वाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव को सौंपे जाने में हो रही देरी को लेकर वह हर्जाने के तौर पर 600 करोड़ रूपये की मांग कर सकता है। रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां बताया, यदि इस जंगी जहाज को सौंपे जाने में देर होती है तो, हम 2. 3 अरब डॉलर के एडमिरल गोर्शकोव अनुबंध की पांच फीसदी तक रकम हर्जाने के तौर पर मांग सकते हैं। हालांकि, उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री एके एंटनी और उनके रूसी समकक्ष एंतोले सेर्दयुकोव के बीच बुधवार को होने वाली बैठक के बाद इस बारे में कोई अंतिम फैसला किया जाएगा।
इस बीच, रूसी राजनयिक सूत्रों ने सवाल उठाया कि भारत हर्जाने की मांग कैसे कर सकता है, जब उसने स्कोर्पीन पनडुब्बियों की आपूर्ति के मामले में ऐसा नहीं किया है। इन पनडुब्बियों की आपूर्ति में तीन साल से अधिक समय की देर हुई थी। फ्रांस से सौदे के तहत लिए गए छह स्कोर्पीन पनडुब्बियों में प्रथम पनडुब्बी की आपूर्ति 2012 में की जानी थी लेकिन अब इसे दिसंबर 2015 में नौसेना में शामिल किए जाने का कार्यक्रम है। इस बैठक में भारत की ओर से विमान वाहक पोत गोर्शकोव को सौंपे जाने के मुद्दे को उठाए जाने की उम्मीद है।
इस विमान वाहक पोत को सौंपे जाने में पहले ही काफी देर हो चुकी थी और 45,000 टन वजन वाले इस जंगी जहाज के समुद्री परीक्षण के दौरान इसके इंजन में गड़बड़ी होने के चलते इसकी आपूर्ति में और अधिक देर हो रही है। आईएनएस विक्रमादित्य के नाम से इस जहाज को नौसेना में इस साल चार दिसंबर तक शामिल किए जाने का कार्यक्रम था लेकिन रूसी मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि इसे अब अक्तूबर 2013 तक जाकर ही सौंपा जा सकता है। गौरतलब है कि इस जंगी जहाज को नौसेना में मूल रूप से 2008 में शामिल किए जाने का कार्यक्रम था। (एजेंसी)
First Published: Monday, October 8, 2012, 23:36