गोवा में खनन पर लगी रोक पर मिलीजुली प्रतिक्रिया

गोवा में खनन पर लगी रोक पर मिलीजुली प्रतिक्रिया

पणजी : उच्चतम न्यायालय द्वारा गोवा में खनिजों के खनन और परिवहन पर रोक लगाए जाने का जहां पर्यावरणविदों ने स्वागत किया है वहीं उद्योग जगत का कहना है कि वैध खनन को इससे बाहर रखा जाना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता ऑस्कर रेबेलो ने कहा, हम इस आदेश का स्वागत करते हैं। खनन उद्योग द्वारा राज्य के पर्यावरण को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई के लिए समय मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार, गैर-सरकारी संगठनों, संबंधित लोगों और खान संचालकों को रोक लगाए जाने की अवधि का इस्तेमाल आजीविका के लिए खनन गतिविधियों पर निर्भर लोगों को वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराने के लिए करना चाहिए।

गौरतलब है कि शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने गोवा में खनिजों के खनन और परिवहन पर रोक लगा दी। इसके साथ ही न्यायालय ने केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति से गोवा में अवैध तरीके से होने वाली खनन गतिविधियों के बारे में चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है।

एक गैर-सरकारी संगठन गोवा फाउंडेशन ने उच्चतम न्यायालय से राज्य में जारी खनन उद्योग पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) का मानना है कि शीर्ष न्यायालय को वैध खनन उद्योग को इस दायरे से बाहर रखना चाहिए।

जीसीसीआई के अध्यक्ष एम पई रैकर ने कहा, वैध खनन गतिविधियों को जारी रहने देना चाहिए। बहुत सारे खनन पट्टे कानूनी तौर पर वैध हैं। उन्होंने दावा किया कि चैंबर ने हमेशा से राज्य में अवैध खनन का विरोध किया है। उन्होंने कहा, पिछले तीन साल में सरकार के साथ की गई सभी बातचीत में चैंबर ने अवैध खनन और अविश्वसनीय संचालकों का विरोध किया है। चैंबर का कहना है कि खनन क्षेत्र पर लगाई गई मौजूदा रोक से करीब 1,200 करोड़ रुपये का निवेश अटक गया है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय में इस उद्योग के बारे में सही तस्वीर पेश करना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Saturday, October 6, 2012, 13:17

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