Last Updated: Wednesday, January 16, 2013, 18:39

नई दिल्ली : देशभर में अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता जाहिर करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि इस प्रकार की सुविधाएं परिवारों को उनकी देहरी पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि सरकार की अगले दस सालों में स्वास्थ्य बजट में ठोस वृद्धि किए जाने की योजना है। यहां एक स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार केवल 35 फीसदी लोगों की ही जरूरी दवाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच है।
ऐसोचैम द्वारा आयोजित 10वें ज्ञान सहस्त्राब्दि शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति ने कहा, ‘जन स्वास्थ्य व्यवस्था का व्यापक पैमाने पर विस्तार किया जाना चाहिए और इसे राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती प्रदान की जानी चाहिए। हमें परिवारों को उनकी देहरी पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने 11वीं योजना के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय को 1.2 फीसदी से बढ़ाकर 2017 तक सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 फीसदी करने की योजना बनायी है।
मुखर्जी ने कहा, ‘13वीं योजना की समाप्ति तक सरकार की स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में जीडीपी का तीन फीसदी खर्च करने की योजना है।’ राष्ट्रपति ने राज्य और केंद्र स्तर पर स्वास्थ्य विभागों में प्रबंधनात्मक और प्रशासनिक सुधारों के लिए लीक से हटकर काम करने की जरूरत पर बल दिया। मुखर्जी ने कहा कि सूचना और संचार तकनीक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। मुखर्जी ने कहा कि सरकार सभी को स्वास्थ्य सेवाएं और वित्तीय विकल्प उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने और सरकारी-निजी भागीदारी मॉडल को विकसित करने की इच्छुक है।
उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां पूंजी निवेश , तकनीकी सहयोग तथा संयुक्त उद्यम के जरिए भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रवेश करने को लेकर अपनी इच्छा जता रही हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार भारत की सर्वाधिक गरीब आबादी हर साल अपनी जरूरतों का चिकित्सा बिल चुकाने के चलते कर्जदार हो जाती है। इस मौके पर राष्ट्रपति ने वर्ष 2004 में रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. ऐरोन सिशेनोवर को ‘मिलेनियम अवॉर्ड’ भी प्रदान किया। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 16, 2013, 18:39