घरेलू कामगारों के लिए राष्ट्रीय नीति पर उठे सवाल

घरेलू कामगारों के लिए राष्ट्रीय नीति पर उठे सवाल

नई दिल्ली : घरेलू कामगारों को कुछ अधिकार देने वाली एक नई नीति पर कुछ मंत्रालयों ने श्रम संगठन के गठन जैसे प्रावधानों को लेकर सवाल उठाए हैं। चिंताएं जताई गई हैं कि अगर घरेलू कामगारों को श्रम संगठन स्थापित करने की अनुमति दी गई तो इससे कानून व्यवस्था सहित अन्य परेशानी खड़ी हो सकती है।

घरेलू कामगारों के लिए राष्ट्रीय नीति पर पिछले सप्ताह कैबिनेट की एक बैठक में चर्चा हुई जहां इस संबंधम में अलग अलग नजरिये पेश किये गये। इसके बाद फैसला किया गया कि आम सहमति के लिए और विचार विमर्श की जरूरत है। इस नीति में कामगारों को न्यूनतम मजदूरी, सवैतनिक अवकाश और नियमित काम के घंटे जैसे अधिकार देने की बात शामिल है। इस नीति में उनके लिए श्रम संगठन बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है।

नीति पारित होने से भारत को घरेलू कामगारों के कार्य स्थितियों को बेहतर बनाने की एक आईएलओ संधि को पूरा करने में मदद मिलेगी और वह इस संधि का अनुमोदन करने वाले उरुग्वे, फिलीपीन और मारिशस जैसे देशों की कतार में खड़ हो जाएगा। सूत्रों ने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कोई फैसला करने से पहले इन नीतियों को अपनाने वाले देशों का विस्तृत अध्ययन करने का सुझाव दिया। (एजेंसी)

First Published: Sunday, May 19, 2013, 18:59

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