Last Updated: Monday, January 2, 2012, 03:34
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में आरोपी ए राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सोमवार को राजी होते हुए उनकी याचिकाओं पर सीबीआई को नोटिस जारी किये।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक बढ़ा दी जिसमें उसने निचली अदालत की ओर से चंदोलिया को मिली जमानत पर रोक लगा दी थी।
सोमवार के आदेश के बाद निचली अदालत की ओर से जमानत पाये चंदोलिया अगली सुनवाई तक जेल से बाहर रहेंगे। इस मामले के 14 आरोपियों में से 12 व्यक्तियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है और केवल मुख्य आरोपी पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और बेहुरा ही जेल में बंद हैं।
विशेष अदालत की ओर से एक दिसम्बर 2011 को चंदोलिया को प्रदान की गई जमानत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाये जाने के आदेश के खिलाफ चंदोलिया की याचिका पर विचार करने पर पीठ राजी हो गई । चंदोलिया को जमानत मिलने के दिन ही तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया था। चंदोलिया ने अपनी जमानत पर रोक लगाने के निर्णय को अनुचित और गलत बताते हुए उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
बेहुरा ने 16 दिसम्बर 2011 के हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें उसने इस आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उन्होंने राजा के अवैध इरादों को साजिश का रूप दिया और वह जमानत पर रिहा 10 अन्य आरोपियों की तर्ज पर जमानत का दावा नहीं कर सकते।
चंदोलिया को जमानत मिलने के एक दिन बाद न्यायमूर्ति वी के शाली की हाईकोर्ट की पीठ ने जमानत मिलने के बारे में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उसे यह कहते हुए निलंबित कर दिया कि यदि वह जेल से बाहर नहीं आ गए हैं तो यह रोक लागू होगी। हाईकोर्ट ने कहा था कि चंदोलिया की रिहायी का प्रभाव बेहुरा की जमानत याचिका पर पड़ेगा , जिस पर फैसला सुरक्षित रखा गया है। बाद में हाईकोर्ट ने बेहुरा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। सात दिसम्बर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने चंदोलिया को जमानत देने के निर्णय पर स्थगन लगाने के हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी जो उसने स्वत: संज्ञान लेते हुए दिया था ।
अदालत ने कहा था कि बेहुरा अन्य आरोपियों से बराबरी का दावा नहीं कर सकते क्योंकि सरकारी मुलाजिम होने के नाते उनसे अन्य से अलग व्यवहार की उम्मीद की जाती है। बेहुरा के खिलाफ सबूतों की प्रकृति बहुत गंभीर है और यदि जुर्म साबित हो गए तो उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि राजा इस मामले के मुख्य अपराधी हैं तो बेहुरा और चंदोलिया उनकी साजिश को मूर्त रूप देने वाले की भूमिका में हैं ।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 3, 2012, 00:40