चार साल के अंदर छठे रेल मंत्री बने खड़गे

चार साल के अंदर छठे रेल मंत्री बने खड़गे

नई दिल्ली : मल्लिकार्जुन खड़गे को सोमवार को रेल मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया। वह संप्रग सरकार दो के तहत पिछले चार साल में छठे रेल मंत्री हैं। पिछले चार सालों में रेल भवन में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस से तीन तीन मंत्री इस मंत्रालय का पदभार संभाल चुके हैं।

वर्ष 2009 में संप्रग दो ने सत्ता की कमान संभाली थी तो तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी रेल मंत्री बनी थीं। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने के लिए उन्होंने दो साल बाद इस्तीफा दे दिया।

उनके पार्टी सहयोगी दिनेश त्रिवेदी ने उनकी जगह रेल भवन में डेरा जमाया लेकिन एक साल से भी कम समय में पिछले रेल बजट में यात्री भाड़े में वृद्धि के प्रस्ताव को लेकर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया। दरअसल त्रिवेदी की विदाई इतनी जल्दबाजी में हुई कि वह रेल बजट पास होते नहीं देख सके जिसे उन्होंने मार्च 2012 में लोकसभा में पेश किया था।

उनके स्थान पर ममता के वफादार मुकुल राय को रेल मंत्रालय सौंपा गया लेकिन वह भी केवल छह माह ही मंत्रालय में रह सके क्योंकि उनकी पार्टी ने रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति दिए जाने का विरोध करते हुए सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद बेहद महत्वपूर्ण इस मंत्रालय की कमान सड़क और परिवहन मंत्री सीपी जोशी को सौंपी गई और करीब पांच सप्ताह बाद ही अंतत: पवन कुमार बंसल को रेल मंत्री बना दिया गया। पिछले 17 साल में बंसल रेल मंत्री बनने वाले पहले कांग्रेसी नेता थे।

लेकिन अपने भतीजे के कथित रूप से एक वरिष्ठ रेल अधिकारी से 90 लाख रुपये की रिश्वत स्वीकार करते हुए सीबीआई की ओर से पकड़े जाने के बाद बंसल को रेल भवन से जाना पड़ा। जोशी को फिर से रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार 35 दिनों के लिए सौंपा गया। इसके बाद खड़गे को औपचारिक रूप से रेल मंत्रालय को चलाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई। (एजेंसी)

First Published: Monday, June 17, 2013, 20:54

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