Last Updated: Thursday, December 15, 2011, 09:51
नई दिल्ली : गृह मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली के एक होटल व्यवसायी के खिलाफ दायर तीन एफआईआर वापस लेने में गृह मंत्री पी. चिदंबरम की कोई भूमिका नहीं थी। इस होटल व्यवसायी के बारे में कहा जा रहा है कि वह चिदंबरम का पूर्व मुवक्किल है।
केन्द्रीय गृह मंत्री आर.के. सिंह ने दावा किया कि एफआईआर वापस लेने के बारे में गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली सरकार को भेजे गए पत्र का मसौदा चिदंबरम या गृह सचिव या संबद्ध संयुक्त सचिव को नहीं दिखाया गया था। उन्होंने कहा कि हो सकता है पत्र का मसौदा तैयार करने में गलती हुई हो। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि मसौदा गृह मंत्री को नहीं दिखाया गया था। गृह सचिव को भी फाइल नहीं दिखाई गई। यहां तक कि संबद्ध संयुक्त सचिव का भी कहना है कि उन्होंने मसौदा नहीं देखा था। मामला वापस लेने में गृह मंत्री की कोई भूमिका नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सनएयर होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक एस.पी. गुप्ता के खिलाफ दायर तीन एफआईआर वापस लेने के मुद्दे पर विवाद उठ खड़ा हुआ है और इस मुद्दे पर आज संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ और लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी। तीनों एफआईआर होटल मालिक एस.पी. गुप्ता द्वारा दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नामों का कथित दुरुपयोग कर वीएलएस फाइनेंस कंपनी के साथ करोड़ों की धोखाधडी से संबंधित हैं। खबरों में यह भी बताया गया है कि यह हितों के टकराव का मामला है क्योंकि गुप्ता चिदंबरम के मुवक्किल रह चुके हैं और चिदंबरम ने वकील के रूप में उनके मामले अदालत में लड़े हैं।
मंत्रालय ने हालांकि एक बयान में कहा कि गृह मंत्री इतने लंबे अरसे बाद यह स्मरण नहीं कर पा रहे हैं कि वह सनएयर होटल्स के लिए 1999 से 2003 के बीच कभी अदालत में बतौर वकील पेश हुए थे या नहीं। आर.के. सिंह ने कहा कि गुप्ता के खिलाफ दर्ज मामलों की फाइल देखते समय गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि गृह मंत्रालय को दिल्ली सरकार को कोई सलाह नहीं देनी चाहिए बल्कि उसे केवल कानून मंत्रालय की राय भेजनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने कभी भी नहीं कहा कि मामला वापस लिया जाना चाहिए।
गृह सचिव के मुताबिक, गुप्ता ने गृह मंत्रालय से आग्रह किया था कि उसके खिलाफ जो मामला है, वह दीवानी है और उसे फौजदारी बनाया जा रहा है। गुप्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखा था और वही पत्र जुलाई में गृह मंत्रालय के पास आया था। कंपनी ला बोर्ड इस मामले को देख रहा है और दिल्ली सरकार के मुख्य लोक अभियोजक ने दिल्ली सरकार को फौजदारी की धाराओं के तहत एफआईआर दायर करने के खिलाफ दिल्ली सरकार को पहले ही सलाह दे दी है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, December 15, 2011, 15:21