Last Updated: Thursday, September 22, 2011, 03:43
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोनई दिल्ली: पौने दो लाख करोड़ रुपये के टेलीकॉम घोटाले में एक नया मोड़ आ गया है. अब इस घोटाले के घेरे में केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम भी आ गए हैं. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के मंत्रालय से प्रधानमंत्री कार्यालय को एक लंबी-चौड़ी चिट्ठी भेजी गई है.
इस चिट्ठी ने टेलीकॉम घोटाले के वक्त वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर दिया है. ये चिट्ठी 25 मार्च 2011 को भेजी गई जिसमें साफ लिखा गया है कि अगर चिदंबरम का मंत्रालय स्पेक्ट्रम की नीलामी के अपने शुरुआती फैसले पर अटल रहता तो टेलीकॉम मंत्रालय को तमाम लाइसेंस रद्द करने पड़ते. ये चिट्ठी स्पेक्ट्रम की कम कीमत वसूलने के लिए न सिर्फ राजा, बल्कि चिदंबरम को भी बराबर का जिम्मेदार ठहराती है.
वित्त मंत्रालय में उप निदेशक पद पर तैनात डॉ. पी जी एस राव ने प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव विनी महाजन को 25 मार्च को ये चिट्ठी भेजी थी. विषय था-2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन और मूल्य निर्धारण. वित्त मंत्रालय की ये चिट्ठी आरटीआई कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने हासिल की है.
चिट्ठी में कहा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो स्पेक्ट्रम की पहले आओ, पहले पाओ की जगह उचित कीमत पर नीलामी की जा सकती थी. 11 पन्नों की ये चिट्ठी आने वाले वक्त में चिदंबरम के लिए आफत का सबब बन सकती है. यह चिट्टी आरटीआई के तहत विवेक गर्ग ने हासिल की है. जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्र्हाण्यम स्वामी ने बुधवार को यह पत्र सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच के समक्ष दस्तावेज के तौर पर पेश किया.
First Published: Thursday, September 22, 2011, 09:13