Last Updated: Monday, April 15, 2013, 17:53

नई दिल्ली : चीन और पाकिस्तान दोनों जगह से खतरे को महसूस करते हुए भारतीय वायु सेना ने दोनों मोर्चे पर एक साथ किसी भी चुनौती का सामना करने की अपनी क्षमताओं को समुन्नत किया है।
वायु सेना सूत्रों ने सोमवार को यहां बताया कि इन क्षमताओं की पहली बार सफलतापूर्वक जांच हाल में तीन हफ्ते तक चले युद्धाभ्यास ‘लाइववायर’ के दौरान की गई जिसमें 400 से अधिक लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया।
18 मार्च से शुरू हुए अभ्यास में वायुसेना ने पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे पर एक साथ चुनौतियों का दृश्य पैदा किया।
चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं की जांच करते हुए वायुसेना ने तेजी से अपने अग्रणी लड़ाकू और परिवहन विमानों को पाकिस्तान सीमा से पूर्वी मोर्चे पर पहुंचाया। खासतौर पर हाल में विकसित एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउन्ड्स (एएलजी) को पूर्वोत्तर में लगाया गया।
सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000, जगुआर, मिग 29, मिग 27 और मिग 21 समेत वायुसेना के सभी बड़े विमानों ने युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा कि बल ने पश्चिमी मोर्चे पर आवश्यक संख्या में विमानों को तैनात रखा जबकि बीच आकाश में ईंधन भरने में सक्षम विमान समेत ज्यादातर विमानों को अपने पूर्वी मोर्चे पर तैनात रखा।
आलोंग, वालोंग, तूतिंग, जीरो, पासीघाट, विजय नगर और तवांग में आठ एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउन्ड्स समेत पूर्वोत्तर में सभी हवाई क्षेत्रों को सक्रिय किया गया और सभी तरह के लड़ाकू और परिवहन विमानों को अभियानों में लगाया गया।
सूत्रों ने बताया कि यह पहला मौका था जब वायुसेना ने इस तरह का अभ्यास किया। इसमें दोनों संभावित युद्ध मोर्चो पर उनकी क्षमताओं का परीक्षण किया गया। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 15, 2013, 17:39