Last Updated: Sunday, December 4, 2011, 09:52
मुंबई: कश्मीर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर चिंता जताते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने कहा कि इस कम्युनिस्ट देश से संपर्क साधते समय भारत को कुछ दृढता दिखानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘मेरी इच्छा थी कि चीन मामले में भारत मजबूती से पेश आता।’
इंडियन एक्सप्रेस समूह की तरफ से आयोजित एक्सप्रेस अड्डा कार्यक्रम में उमर ने कहा, ‘एक हालिया घटना में, सरकार ने कहा कि वह दिल्ली में होने वाले दलाई लामा के कार्यक्रम को सिर्फ इसलिए स्थगित नहीं करेगी क्योंकि चीन हमारे साथ सीमा मुद्दे पर चर्चा करने आ रहा है। मेरी ख्वाहिश है कि हम अक्सर ऐसा ही रुख अपनायें।’
उमर ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र कहने में चीन को कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, हमसे आशा की जाती है कि हम एक चीन नीति का पालन करें और ताइवान और तिब्बत की स्थिति पर सवाल नहीं खड़े करें।’
उन्होंने कहा, ‘क्यों ऐसा है कि चीन चाहता है कि उसके मामले में हम ‘एक चीन’ नीति का पालन करें लेकिन वह ‘एक भारत’ नीति का पालन नहीं करेगा। क्यों वे अरणाचल प्रदेश की स्थिति पर सवाल खड़े करते हैं? क्यों वे जम्मू-कश्मीर के एक भूभाग पर सवाल खड़े करते हैं ? वह मेरे राज्य का अवैध कब्जे वाला हिस्सा है। उन्हें इस बात को स्वीकार करने की जरूरत है।’
उमर अब्दुला ने कहा, ‘मुझे लगता है कि चीन और पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों के संबंध में हम काफी लंबे समय से खेद व्यक्त करते रहे हैं और हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि हमें चीन के साथ समान आधार पर पेश आना होगा। अगर वे हमारी संप्रभुता पर सवाल खड़े करते हैं तो हमारे पास अधिकार है कि हम भी उनकी संप्रभुता पर सवाल खड़े करें।’
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सैकड़ों लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर उमर के इन बयानों का स्वागत किया।
चीन के अलावा उमर ने घाटी के हालिया शांतिपूर्ण माहौल, पर्यटकों की संख्या दुगुनी होने और राज्य में उर्जा और आधारभूत संरचनाओं की दिक्कतों जैसे मुद्दों पर भी अपनी राय रखी।
(एजेंसी)
First Published: Monday, December 5, 2011, 10:47