Last Updated: Friday, March 22, 2013, 23:02
नई दिल्ली : चीन ने सीमा पर किसी गलतफहमी अथवा उकसावे को नजरअंदाज करने के लिए सीमा रक्षा सहयोग समझौते की पेशकश की है, लेकिन भारत इसमें जल्दबाजी नहीं कर रहा है क्योंकि वह इस प्रस्ताव का गहन अध्ययन करना चाहता है।
दिल्ली में आज सचिव स्तर की वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने इस साल चीन में सैन्य स्तर पर आतंकवाद विरोधी अभ्यास का फैसला किया। अगले महीने भारतीय सेना के एक प्रतिनिधिमंडल के चीन दौरे के समय इस अभ्यास की तिथियों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
इस वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा ने किया। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे डिप्टी चीफ ऑफ जनरल स्टॉफ लेटिफ्टनेंट जनरल की जियांगदुओ ने प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों ओर गश्त के दौरान नजर पड़ने पर दोनों देशें के सैनिक एक दूसरे के पीछे नहीं जाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि इस प्रस्ताव में एक खंड ऐसा भी है जिसमें सलाह दी गई है कि किसी भी परिस्थिति में दोनों के सैनिक एक दूसरे पर गोलीबारी नहीं करेंगे। सूत्रों ने बताया कि चीन के इस प्रस्ताव पर भारतीय पक्ष ने कोई प्रतिबद्धता नहीं दी। भारत इस प्रस्ताव पर कोई भी फैसला करने से पहले गहन अध्ययन करना चाहता है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में विदेश सहयोग तथा खुफिया मामलों के प्रभारी की और शर्मा के बीच पिछले तीन महीनों के दौरान यह दूसरी बैठक है। दोनों के बीच इसी साल जनवरी में वार्षिक रक्षा संवाद के दौरान पिछली मुलाकात हुई थी। वार्षिक रक्षा संवाद के दौरान भी चीन ने इन प्रस्तावों पर अनौपचारिक रूप से चर्चा की थी, लेकिन भारत ने उस वक्त कहा था कि चीन इस बिंदुओं को औपचारिक रूप से सौंपे।
उधर, 12वें वीके कृष्णा मेनन स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने कहा कि चीन, भारत के बीच ‘जटिल सीमा विवाद’ है। मेनन ने कहा, ‘दुनिया की सबसे बड़ी सीमा समस्या अब भी अनसुलझी है, लेकिन दोनों देशों के नेताओं ने शांति कायम रखने का फैसला किया है। हम कई दशक से ऐसा करने में कामयाब रहे हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, March 22, 2013, 23:02