Last Updated: Tuesday, September 27, 2011, 11:35
जी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली: भारत सरकार ने मंगलवार को स्वीकार किया कि चीनी सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर के लेह क्षेत्र में पिछले महीने प्रवेश किया था, लेकिन इसे घुसपैठ के तौर पर मानने इनकार कर दिया. रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि कूटनीतिक माध्यमों के जरिए नई दिल्ली ने बीजिंग के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है और बात की है.
हालांकि, रक्षा मंत्री पूर्व की तरह इस घटना को ज्यादा तवज्जो देते नजर नहीं आए. उन्होंने कहा कि सीमा को लेकर धारणा में मतभेद के कारण दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के क्षेत्रों में प्रवेश कर जाते हैं. कभी उनके सैनिक हमारे क्षेत्रों में प्रवेश कर जाते हैं तो कभी हमारे लोग उनके क्षेत्रों में चले जाते हैं. यह केवल सीमा को लेकर धारणा में मतभेदों के कारण है. रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस समस्या का स्थाई निदान निकालने की कोशिश कर रही है. सीमा संबंधी समस्याओं का निदान निकालने के लिए एक तंत्र गठित करने का भी निर्णय लिया गया है और यह व्यवस्था कुछ महीनों में सामने आ जाएगी.
गौरतलब है कि बीते 25 अगस्त को लेह से करीब तीन सौ किलोमीटर दूर चुमार सेक्टर के न्योमा प्रभाग में चीनी सैनिक प्रवेश कर गए थे. जिस दौरान कुछ तंबुओं और सेना के अप्रयुक्त बंकरों व टेंटों को नष्ट कर दिया था. इसके अलावा, चीनी सैनिकों ने घुसपैठ के दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रतीक चिन्ह लाल सितारा को चट्टानों पर अंकित कर दिया था.
जम्मू-कश्मीर सरकार तथा केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भी भेजी, जिसमें इस बात का उल्लेख था कि 25 अगस्त के दिन दो चीनी हेलीकाप्टर भारतीय हवाई क्षेत्र में करीब एक से डेढ़ किमी तक प्रवेश कर गए और फिर बाद में लैंड भी किया. दोनों हेलीप्टरों से उतरे दर्जनों पीएलए सैनिकों ने वहां मौजूद बंकरों और टेंटों को ध्वस्त कर दिया. हेलीकाप्टर उतरने की यह घटना चुमार सेक्अर के तहसील न्योमा के चिंगथांग क्षेत्र में हुई. यह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में लेह के पूर्वोत्तर में स्थित है. रिपोर्टों के अनुसार, चीनी सैनिकों ने वहां सिगरेट कुछ पैकेट भी छोड़ दिए ताकि वे यह दर्शा सकें कि यह क्षेत्र उनके कब्जे में है. इस घटना के सामने आने के बाद आईटीबीपी कर्मियों ने इस क्षेत्र से सारे संकेतकों को हटा दिया.
इससे पहले भी, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने भी कहा था कि चुमार एक ऐसा क्षेत्र है, जहां लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को स्पष्ट रूप से चिन्हित नहीं किया गया है. जिसके चलते इस क्षेत्र में धारणा को लेकर हमेशा मतभेद रहे हैं. चीनी सैनिकों ने पहले भी जुलाई, 2009 में माउंट ग्या के निकट भारतीय क्षेत्र में लगभग 1.5 किमी तक प्रवेश कर गए थे, जो कि भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के तौर पर माना जाता है.
First Published: Tuesday, September 27, 2011, 17:18